हवाई यात्रा लोगों को रोमांचक अनुभव देता है. हालांकि इस रोमांचकारी अनुभव के बीच हर यात्री के लिए एक आम समस्या भी उत्पन्न होती है. यह समस्या है कान दर्द (Airplane Ear) की. फ्लाइट के टेक ऑफ और लैंड के दौरान अक्सर लोगों को कान दर्द की शिकायत होती है. हवाई यात्रा के दौरान कान में ज्यादा दर्द, कान बंद होना या सुनने की समस्या उत्पन्न होती है.

कुछ लोगों को इससे कम परेशानी होती है लेकिन कुछ को तो असहनीय दर्द से गुजरना पड़ता है. कई लोगों को कान में अजीब सी हरकत महसूस होती है. हालांकि लोग इसे सामान्य समझकर भूलने की कोशिश करते हैं. इस कान दर्द को Airplane Ear कहते हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा होता क्यों है?
यह एहसास दरअसल हवा के दबाव में होने वाले परिवर्तन के कारण होता है. कभी-कभी ये गंभीर रूप धारण कर लेता है लेकिन कई बार जहाज के नीचे उतरते ही यह दर्द अपने आप ठीक हो जाता है.
उड़ान भरते समय कुछ सावधानियां बरतने से कान में होने वाली इस तरह की दिक्कतों से बचने में सहायता मिल सकती है –
दर्द का कारण (Cause of Pain) –
हवाई उड़ान के वक्त कान में होने वाली असुविधा (Airplane Ear) का मुख्य कारण कान के मध्य भाग पर पड़ने वाला दबाव होता है. कान का यह मध्य भाग हवा भरी बंद गुफा जैसा होता है. इस गुफा में स्थित हवा का दबाव हमारे वातावरण की हवा के दबाव के साथ संतुलन बनाता है. यह संभव होता है युस्टाशियन ट्यूब द्वारा जो कान के मध्य भाग को नाक के पिछले हिस्से से जोड़े रखती है.
जब हम जम्हाई लेते हैं तब यह ट्यूब खुलती है और हवा को कान के मध्यभाग में हल्की आवाज के साथ अन्दर जाने देती है. इस वजह से कान के अंदर और बाहर का दबाव एक जैसा रहता है. उड़ान भरते समय हवाई जहाज की ऊंचाई बदलती है. ऊंचाई बदलने के कारण बाहर का दबाव तेज रफ्तार के साथ बदलता है.
युस्टाशियन ट्यूब
खासकर तब जब जहाज नीचे उतरने वाला होता है. ऐसी परिस्थिति में युस्टाशियन ट्यूब कान की हवा के दबाव को बार-बार तेजी के साथ बाहरी हवा के दबाव के साथ संतुलित करती है. कान की गुफा में अंदर और बाहर से पड़ने वाले विपरीत दबावों के कारण वहां से अजीब सी आवाजें आती है.
इस दौरान निगलने की प्रक्रिया करने से दबाव को संतुलित करने में मदद मिलती है. जब यह ट्यूब अपना काम सही से नहीं कर पाती तो ऐसे में दबाव का संतुलन भी ठीक नहीं बनता है. तब फिर ऐसी परिस्थिति में कान बंद होने या फिर दर्द का एहसास होता है.

उपाय (Solution)
कुछ उपायों को अगर आप अपनाते हैं तो आपकी हवाई यात्रा सुखद हो सकती है.
- युस्टाशियन ट्यूब को खोलने वाली मांसपेशियों को जगाए रखने में निगलने की प्रक्रिया काफी मददगार होती है.
- च्यूइंगम या पेपरमिंट मुंह में रख कर उसके मीठे रस को बार-बार निगलने की क्रिया हवा दबाव को समतल रखने में कारगर होती है.
- देखा जाए तो जम्हाई लेना भी फायदेमंद है लेकिन प्रत्यक्ष रूप में यह ज्यादा संभव नहीं हो पाता है.
- जब जहाज लैंड कर रही हो उस वक्त जगे रहने की कोशिश करें. अगर आप नींद में रहेंगे तो निगलने की क्रिया करना संभव नहीं होगा.
- ऐसा भी कर सकते हैं कि नाक को दो उंगलियों से बंद कर मुंह से गुब्बारा फुलाने की तरह गालों को फुलाएं. ठक की आवाज सुनते ही समझें की आप जीत गए. इस प्रक्रिया को जहाज के उतरने के दौरान 2-3 बार दोहराएं.
- हवाई यात्रा करते वक्त आप मिठाई का सेवन करें. मिठाई ना हो तो फिर कोई अन्य मिठी चीज जैसे चॉक्लेट ही चूसते रहें. इससे भी आपको कान दर्द में राहत मिलेगी.
यह भी…
- एक खुराक सर्दी-खांसी की दवा विमान के उड़ान भरने के पहले ही ले लें. या फिर नाक में डालने वाले स्प्रे का इस्तेमाल करे. यह दवा काम शुरू करने में थोड़ा वक्त लेगा लेकिन असरदार होगा.
- यात्रा के दौरान खूब सारा पानी पीना भी काफी सहायक होता है.
- इन तमाम उपायों के बाद भी अगर आपको राहत नहीं मिलती है तो फिर डॉक्टर की सलाह लें. डॉक्टर द्वारा दी गई दवा का इस्तेमाल करने से आपको काफी हद तक राहत मिलेगी.
- अगर आप दवा लेने के बाद असहज महसूस करते हैं तो इससे बचाव के लिए इयरप्लग का इस्तेमाल कर सकते हैं.
- रबर की बनी यह मुलायम वस्तु विमान के हवा में उड़ने और जमीन पर वापस आने के दौरान कान में उत्पन्न होने वाले हवा के दबाव को नियंत्रित कर कान दर्द को कम करता है. इसे विशेष रूप से हवाई यात्रा के लिए ही बनाई जाती है. इस प्रकार के प्लग व्यस्क व बच्चे दोनों के लिए आते हैं.
बच्चों के लिए (For children)
बच्चों के साथ एक समस्या है कि वे अपनी कानों को खोले रखने में खुद मदद नहीं कर सकते. सोने के दौरान तो बड़ों की तरह बच्चों की भी निगलने की प्रक्रिया बंद रहती है. जिस कारण युस्टाशियन ट्यूब का काम बंद रहता है. ट्यूब बंद होने की वजह से दबाव का असंतुलन बना रहता है.

जिसकी वजह से कान बंद होना या दर्द (Airplane Ear) होना शुरू हो जाता है. अगर बच्चा दूध की बोतल चूसते रहते हैं या चूसनी मुंह में लगी होती है तो उस वक्त यूस्टाशियन ट्यूब सही से काम करता है. जिससे उन्हें स्वस्थ अनुभव होता है.
सर्दी-ज़ुकाम
अगर आपको सर्दी-जुकाम है और आप हवाई यात्रा पर हैं तो इस दौरान इसके बढ़ने की संभावना रहती है. साइनस, नाक से संबंधित बीमारी या बुखार रहते हुए हवाई यात्रा करना कष्टदायी होता है. नाक के बंद होने पर युस्टाशियन ट्यूब भी बंद हो सकती है. जिसकी वजह से कान का दबाव संतुलित नहीं हो पाता. ऐसा होने पर वहां शून्य बन जाता है और कान का पर्दा अंदर की तरफ खींच जाता है.
ऐसे में सुनाई देना कम हो जाता है.कितनी बार कान के अंदर की सतह पर होने वाला द्रव इस शून्य में आ जाते हैं, जिसे एयरो-ओटीटीस कहा जाता है. जरूरत पड़ने पर हवा का दबाव कान पर संतुलित करने के लिए उस द्रव को खींचकर निकालना पड़ता है. बेहतर होगा सर्दी-जुकाम या नाक की कोई परेशानी रहते आप हवाई यात्रा से परहेज करें.
दवाएं (Medicines)
हवाई जहाज उतरने से एक घंटा पहले नाक के लिए स्प्रे या डिकांजेस्टेट गोलियां लेना लाभदायक होता है. इस दवा को लेने से नाक की अंदरूनी सतह संकुचित होकर व युस्टाशियन ट्यूब का कार्य सही रखने में सहायक होगी. नाक की समस्या होने पर सफर शुरू करने से पहले दवाएं लेना शुरू करना चाहिए.

अगर आपको भी हवाई यात्रा के दौरान कान दर्द (Airplane Ear) की समस्या है तो निश्चित ही आप इस आलेख को पढ़कर इसका लाभ उठा सकते हैं. उम्मीद है अगर आप यहां बताए गए सुझावों का अनुसरण करते हैं तो जरूर आपको फायदा मिलेगा. आप अपने अनुभव को ‘योदादी’ के साथ कमेंट कर जरूर शेयर करें. #AirplaneEar