पिछले दिनों बिहार के लोग चमकी बुखार के प्रकोप से जूझ रहे थे. गर्मियों का ऐसा दौर चला कि लोग बारिश की बूंदों के लिए तरसने लगे. कई जिले भीषण गर्मी में भूमिगत जल विहीन पाए गए. जाहिर है, ये किसी प्राकृतिक आपदा से कम नहीं है. जल के अभाव को लेकर एक तरफ बहस चल ही रही थी कि मानसून ने दस्तक दी और फिर लगातार बारिश का सिलसिला चल निकला. (flood se bachne ke upay)

लोग राहत महसूस करते कि साथ ही बाढ़ की चिंता सताने लगी. बता दें कि उत्तर बिहार लगातार बाढ़ की विभीषिका (Bihar Flood) झेलता रहा है. कभी कम तो कभी कुछ ज्यादा ही नुकसान झेलना पड़ता है. नदियों से भरा ये क्षेत्र नेपाल की ओर से छोड़े गए पानी से त्रस्त रहता है. जैसे ही नदियों का जलस्तर बढ़ता है, जनजीवन प्रभावित हुए बगैर नहीं रहता. इस बार भी स्थिति ठीक वैसी ही है जैसी सालों से रही है. अब बाढ़ पर निर्भर है कि उसमें कितनी ताकत है, कितनी नुकसान पहुंचाने की क्षमता है! (flood se bachne ke upay)
सरकारी तौर पर बचाव और राहत पहुंचाने के रूटीन टास्क से कितनी सुविधा होगी वो जमीन पर मौजूद लोग बखूबी समझते हैं. ऐसे में हम यहां आपको अवेयर करना चाहते हैं कि कैसे आप बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए खुद बचाव के उपाय कर सकते हैं. खासकर परिवार के समर्थ लोग बच्चे और बुजुर्गों का केयर कैसे कर सकते हैं, इस पर भी हम यहां प्रकाश डाल रहे हैं.

बाढ़ की स्थिति में उठाएं ये कदम – Flood se bachne ke upay
1. ये जान लें कि बाढ़ का पानी तेजी से बढ़ता है. लिहाजा अपडेट रहें कि बाढ़ आपके इलाके से कितनी दूर है. अगर पानी पहुँच चुका है तो जलस्तर कितना है, इसको लेकर भी सजग रहें. बता दें कि जब तक बाढ़ की स्थिति है, चौकन्ना रहने की जरूरत है. खासकर रात के वक्त परिवार और लोगों की हिफाजत को लेकर इंतजाम रखने चाहिए.
2. कोशिश करें कि बाढ़ के पानी के साथ (Bihar Flood) सीधा संपर्क ना रहे. खासकर इसमें नहाने या फिर कुल्ला करने से बाज आएं. बाढ़ की स्थिति में नलके का पानी सुरक्षित होता है. पानी में उतरते वक्त रबड़ के जूते पहनें ताकि किसी प्रकार का इन्फेक्शन ना हों.
3. बाढ़ की सूरत में अमूमन बिजली सेवा बाधित रहती है, ऐसा सुरक्षा को ध्यान में रखते किया जाता है. आप घर के अंदर पेट्रोल या डीजल जनरेटर का उपयोग भी न करें. जल से घिरे घर में आपदा की स्थिति आ सकती है. बिजली से चलने वाले यंत्रों को बंद रखें.
बाढ़ का गतिमान पानी
4. आज का समय सूचना और संचार का है, लिहाजा अगर घर में बच्चे, बूढ़े और कोई बीमार हो तो डॉक्टर से संपर्क में रहें. साथ ही बचाव दल या प्रशासनिक सेवाओं से जुड़े रहें. अगर आप शिविर में हैं तो साफ़-सफाई के साथ ही अधिक चौकस रहने की जरूरत है. भीड़भाड़ में गंदगी और संक्रमण के चांस रहते हैं. (flood se bachne ke upay)
5. जानकारी हो कि बाढ़ का गतिमान पानी (Bihar Flood) लगभग तीन दिन में आपका क्षेत्र छोड़ देता है. लिहाजा पानी का स्तर कम होने के चांस रहते हैं. सरकारी सजगता और सहयोग से इससे निजात पाने पर ध्यान दिया जाता है. बाढ़ की स्थिति में कभी धैर्य ना खोएं बल्कि मजबूती से डटे रहें. अपने अपनी सुरक्षा, परिवार की सुरक्षा और फिर समाज की सुरक्षा में योगदान करें.
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ध्यान देने वाली बात है कि उपरोक्त एहतियात के बाद असली चुनौती शुरू होती है. जब बाढ़ का गतिमान पानी आपके क्षेत्र से निकलता है तो जमा हुआ पानी का प्रकोप शुरू होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि बाढ़ के कारण जलजनित बीमारियां जैसे- मियादी बुखार, हैजा और हेपटाइटिस-ए होने की सम्भावना रहती है तो वहीं मच्छरों से पैदा होने वाली बीमारियां जैसे मलेरिया, डेंगू और कई तरह के बुखार लोगों को अपनी चपेट में लेता है.
बताते चलें कि अगर सजग और चौकस रहें तो बाढ़ में न केवल आप सुरक्षित रहेंगे बल्कि अपने परिवार और आसपास के लोगों की मदद भी कर सकेंगे. प्राकृतिक प्रकोपों में एक-दूसरे का साथ ही संबल होता है. स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें!