किसी के बारे में कैंसर का नाम सुनते ही मानों पैरों तले जमीन खिसक जाती है. वैसे तो इस जानलेवा बीमारी का भी इलाज है. लेकिन इसका पता शुरुआत के दिनों में चल जाए तो ही इलाज संभव है. ऐसा नहीं होने पर अंतिम स्टेज में पहुंचने के बाद अगर इसका खुलासा हो तो बीमारी लाइलाज हो जाती है. इसके बाद तमाम कोशिशों के बावजूद मरीज का बचाना काफी हद तक असंभव हो जाता है.
इस बीमारी का इलाज इतना महंगा है कि हर किसी के लिए उपचार करा पाना संभव नहीं होता. कम आयवर्ग के लोग कई बार तो प्रथम स्टेज में इसका पता चलने के बाद भी ट्रीटमेंट नहीं करा पाते हैं. आप ही सोचिए अगर किसी बच्चे में इस घातक बीमारी का पता चलता है तो उसके माता-पिता व परिवार वालों पर क्या गुजरती होगी!
इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आजकल सिर्फ बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी आ रहे हैं. बच्चों में इस बीमारी का काफी तेजी से बढ़ रहा है. रिपोर्ट्स की मानें तो प्रति वर्ष 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कैंसर के लगभग 40 से 50 हजार नए मामले सामने आते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि कई वजहों के एक साथ मिलने के कारण ही कैंसर सेल्स का निर्माण होता है. इन कारणों में वातावरण, अनुवांशिक या फिर आज-कल की लाइफ स्टाइल भी हो सकती है.

बच्चों के कैंसर का इलाज भी है अलग
कम उम्र के बच्चों में होने वाले कैंसर का इलाज बड़ों से अलग होता है. छोटे बच्चों में अगर कैंसर की शिकायत होती है तो उनमें कोशिकाओं की बढ़त तेजी से होती है. इसे नियंत्रित करना बेहद कठिन होता है. उसका आकार सामान्य नहीं होने की वजह से वह आस-पास की कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचाते हैं. जसकी वजह से एक अंग से दूसरे अंग में भी कैंसर के फैलने की आशंका बनी रहती है.
छोटी उम्र में कैंसर की कोशिकाओं के बढ़ने के साथ-साथ शरीर में न्यूट्रीन की खपत बढ़न लगती है. इसकी वजह से शारीरिक शक्ति का कम होना भी शुरू हो जाता है. बच्चों में होने वाले कैंसर के कई लक्षणों में बुखार, खून क कमी, ग्लैंड में सूजन आदि शामिल है. बच्चों में कई चीजें ऐसी है जिसके प्रति सजग नहीं रहने से ही बच्चा कैंसर का शिकार हो जाता है.
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कैंसर के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार अस्वस्थ खानपान और अनियमित जीवनचर्या भी है. जबकि बच्चों में कैंसर का सबसे प्रमुख कारण जेनेटिक होता है. यानी परिवार में अगर कोई कैंसर का मरीज हो तो बच्चे में भी इस बीमारी के होने की संभावना रहती है. इसके लिए जरूरी नहीं कि वह केवल पैरेंट्स में ही हो. वंशानुगत समस्या किसी भी पीढ़ी को अपना शिकार बना सकती है. बच्चों में सबसे अधिक ब्लड, किडनी और बोन कैंसर का खतरा देखा जाता है.
बच्चों को कैंसर से बचाने के लिए इसके लक्षण व कारण को जानना बेहद जरूरी हैः
ये रहे बच्चों में कैंसर के लक्षणः
1. नाक से खून गिरनाः
बच्चों के नाक से खून आना एक आम समस्या है क्योंकि उनकी रक्त कोशिकाएं बहुत ज्यादा पतली होती है. अब यह ध्यान देना जरूरी है कि क्या बच्चे के नाक से महीने में चार से पांच बार खून गिरने की समस्या तो नहीं है. अगर ऐसा हो तो फिर यह कैंसर के लक्षणों में शामिल है. सिंगापुर नेशनल हॉस्पिटल की मानें तो बच्चे के नाक से बार-बार खून आना एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्युकेमिया के लक्षण हैं और यह बच्चों में होने वाला सबसे कॉमन कैंसर है.
2. घाव का लंबे समय तक रहनाः
खेलना-कूदना तो हर बच्चे के मनोरंजन का प्रमुख साधन होता है. इनका खेलने के वक्त गिरना और चोट लगना भी लगा रहता है. लेकिन ये चोट अगर जल्दी ठीक हो जाए तो ठीक है नहीं तो फिर यह चितां की विषय है. सिर्फ चोट वाले घाव ही नहीं बल्कि शरीर में कहीं भी अगर घाव हो और वह लंबे समय तक ठीक नहीं हो रहा हो तो इसकी अनदेखी बिल्कुल ना करें.
3. लगातार वजन कम होनाः
बच्चे का वजन अगर बिना किसी कारण तेजी से कम हो रहा हो तो यह बेहद चिंता का विषय है. ऐसा होने पर आपको जितनी जल्दी हो सके डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए. विशेषज्ञों के अनुसार अगर बच्चे जितना कैलोरी ले रहे हैं उससे ज्यादा प्रतिदिन घटा रहे हैं तो ऐसे में उनका वजह जल्दी कम हो जाता है. यह कई अज्ञात बीमारियों का कारण हो सकती है, जिसमें कैंसर भी शामिल है.
4. सांस लेने में दिक्कतः
बच्चों में सांस लेने में कमी या तकलीफ भी कैंसर के लक्षणों में शामिल है. ऐसे लक्षण दिखने पर समय बर्बाद किये बगैर तुरंत चिकित्सक के साथ संपर्क स्थापित करें. सांस लेने में दिक्कत होने की वजह से ल्यूकेमिया भी हो सकती है जो बचपन में 40 प्रतिशत कैंसर के लिए जिम्मेदार है.

वैसे तो कैंसर बेशक जानलेवा है पर लाइलाज नहीं. इससे डरने के बजाय लड़ना जरूरी है क्योंकि इसका इलाज संभव है. इलाज के साथ-साथ अगर आपके हौसले बुलंद हैं तो कैंसर को भी मात दिया जा सकता हैः
5. पेट में सूजनः
पेट में सूजन का होना भी कैंसर के लक्षण हो सकते हैं. पेट में कोशिकाओं का अधिक मात्रा में जमाव होने की वजह से सूजन की समस्या शुरू होती है. Wilm’s ट्यूमर होने की वजह से भी पेट में सूजन की समस्या होती है. यह एक तरह का किडनी कैंसर हो सकता है और यह समस्या बहुत छोटे बच्चों में होती है.
6. व्यवहार में परिवर्तनः
बच्चों के व्यवहार में अचानक परिवर्तन आना अच्छे लक्षणों में शामिल नहीं है. आपको ध्यान रखना होगा कि कहीं बच्चे के व्यवहार में अचानक कोई बदलाव तो नहीं आ रहा है क्योंकि व्यवहार में बदलाव भी कैंसर के लक्षण हो सकते हैं. इसके अलावा बच्चों के स्कूल परफॉमेंस में भी ध्यान रखना जरूरी है.
7. सिर दर्दः
बच्चों के सिर में लगातार दर्द रहना ब्रेम ट्यूमर के लक्षण हैं. मस्तिष्क में ज्यादा प्रेशर बढ़ने के कारण सेल्स बढ़ जाते हैं.
8. आंखों की रोशनीः
नेशनल कैंसर सर्विकल कोअलिशन के अनुसार, आंखों की आंखों का धुंधलापन होना, हर चीज दो-दो दिखना ब्रेन ट्यूमर की निशानी है. अगर आपके बच्चे को भी दिखने में इस तरह की परेशानी हो तो तुरंत चिकित्सक के साथ संपर्क स्थापित कर इलाज शुरू कर दें.
9. उल्टी होनाः
अगर बच्चे में खाना हजम होने की दिक्कत शुरू हो और कुछ भी खाते ही वह उल्टी करना शुरू कर दे. यही प्रक्रियां अगर कई दिनों तक लागातार जारी रहे तो बिना अनदेखी किए आप उसे डाक्टर के पास लेकर जाएं. कई बार कैंसर की वजह से मस्तिष्क पर असर पड़ने से भी उल्टियां होती है.
10. हड्डियों में दर्दः
नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट सिंगापुर का कहना है कि हड्डियों में दर्द होना भी कैंसर की निशानी में शामिल है. लिम्फ के होने के कारण भी कभी-कभी ये दर्द होता है. ये न्यूरोब्लास्टोमा भी हो सकता है जो एक कैंसर ट्यूमर हो सकता है. यह दर्द भी उत्पन्न करता है. इस पर भी निर्भर करता है कि ये ट्यूमर है कहां.
11. कमजोरीः
बच्चों में कमजोरी का होना भी लिम्फोमा के लक्षण है. हेल्थ प्रमोशन बोर्ड के अनुसार यह लिम्फैटिक स्सिटम का भी लक्षण हो सकता है.
12. अस्पष्ट बुखारः
बच्चे को अगर बिना किसी कारण के बार-बार बुखार आए तो यह ल्यूकेमिया कैंसर का लक्षण हो सकता है. ल्यूकेमिया बच्चों में पाया जाने वाला सबसे कॉमन कैंसर है. ऐसा तब होता है जब मैरो अधिक मात्रा में अपरिपक्व सफेद रक्त कोशिका उत्पन्न कर रहा होता है.

13. मिरगीः
मिरगी का दौरा पड़ना भी कैंसर के लक्षण हैं. तेज बुखार, शरीर में ऑक्सीजन की कमी के कारण भी मिरगी की समस्या होती है. इस मामले में भी जल्द से जल्द डॉक्टर के साथ संपर्क स्थापित करें.
ये रहे बच्चों में कैंसर के कारणः
1. लाइफ स्टाइलः
कैंसर का एक अहम कारण लाइफ स्टाइल में गड़बड़ी भी है. लाइफ स्टाइल सही नहीं होने की वजह से भी लोगों में कैंसर का खतरा बना रहता है. धूम्रपान, उच्च कैलोरी युक्त खाना खाने वाले लोगों में कैंसर का खतरा अधिक रहता है. अगर ध्यान नहीं दिया जाता है तो बच्चे कम उम्र में ही धूम्रपान व अल्कोहल का लेना शुरू कर देते हैं. लाइफ स्टाइल में आए इस परिवर्तन का ही नतीजा उन्हें कैंसर का शिकार बना देता है.
2. अनुवांशिकः
कई बार ऐसा होता है जब बच्चे को विरासत में ही कैंसर जैसी घातक बीमारी मिल जाती है. यानी बच्चों में कैंसर के लिए जिम्मेदार कोई बाहरी तत्व नहीं बल्कि आंतरिक कारण होते हैं. हर इंसान को अपने माता-पिता से विरासत में जीन मिलते हैं अगर बच्चे को माता-पिता से असामान्य जीन मिलते हैं तो ऐसे में बच्चे में कैंसर का खतरा 10 फीसद तक बढ़ जाता है. इस तरह के कैंसर को कारण को अनुवांशिक कारण कहा जाता है.

3. रोग-प्रतिरोधक क्षमताः
रोग-प्रतिरोधक क्षमता जिनमें कम होती है वे जल्द ही किसी भी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं. किसी इंसान के शरीर में स्थित प्रतिरोधक क्षमता उसे किसी भी बीमारी व उससे होने वाले इंफेक्शन से बचाने में सहायक होती है. हमारे शरीर में स्थित अस्थि मज्जा कोशिकाओं का निर्माण करती है और वहीं धीरे-धीरे प्रतिरोधक क्षमता का ही भाग बन जाती है. जिन बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उनमें कैंसर की कोशिकाओं का विस्तार तेजी से होने की आशंका रहती है.
4. टेलकम पाउडरः
रोजाना घर पर व्यवहार की जाने वाली चीजों से भी बच्चों में कैंसर का खतरा देखा जा रहा है, जिसमें टेलकम पाउडर शामिल है.
5. पर्यावरणः
पर्यावरण की वजह से बच्चों में कैंसर का खतरा बना रहता है. पेस्टीसाइड, फर्टीलाइजर व पावर लाइन्स का बच्चों में कैंसर से सीधा संबंध है. यदि गर्भवती महिला या नवजात शिशु का उन रसायन के साथ संपर्क स्थापित होता है तो इससे बच्चों में भी कैंसर का खतरा बना रहता है.
हर जान कीमती है और जब बच्चे की जान जोखिम में हो तो उस समय का मुकाबला करना हर माता-पिता के लिए कष्टदायक होता है. बच्चे के लिए वे कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. समय रहते अगर आप भी अपने बच्चे की हर छोटी-छोटी बातों पर ध्यान रखेंगे तो यह निगरानी उसके लिए सुरक्षा कवच का काम करेगी. अगर आप ऊपर दी गई जानकारियों को फॉलो करेंगें तो निश्चित ही आपको इससे काफी सहायता मिलेगी. ‘योदादी’ के साथ अपने अनुभव को कमेंट कर जरूर शेयर करें. #हेल्थकेयर