एक जमाना था जब बेटियों को अभिशाप समझा जाता था. उस वक्त ज्यादातर ऐसी घटनाएं सुनने में आती थी कि बेटियों को जन्म लेने के पहले या फिर जन्म के बाद भी मार दिया (Child Crime) जाता था. समय के साथ-साथ लोगों की सोच भी काफी बदली है. या फिर यूं कहें कि अब के लोगों की सोच में आधुनिकता आई है.

अब वो समय है जब बेटा-बेटी दोनों को समान समझा जाता है. इतनी आधुनिकता के बावजूद आज भी कुछ लोगों की वही पुरानी सोच है. लोग बेटियों को अभिशाप समझ कर जन्म लेने से पहले ही मार देते हैं. कुछ लोग तो हैवानियत की सारी हदें पार कर देते हैं जिस पर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है.
ऐसी ही एक घटना उत्तर प्रदेश के बरेली में हुई है. जहां जिंदा नवजात बच्ची (Child Crime) मिट्टी में दफन पाई गई है. जानकारी के अनुसार कुछ दिनों पहले बरेली में एक महिला ने प्री-मैच्योर बच्ची को जन्म दिया था. जन्म के कुछ समय बाद ही बच्ची ने दम तोड़ दिया था.
मटकी से निकली नवजात – Child Crime
आश्चर्य करने वाली बात ये है कि जब बच्ची के पिता हितेश कुमार बच्ची को दफनाने के लिए श्मशानघाट पहुंचे तो वहां धरती में दफनाई हुई दूसरी बेटी मिल गई. हितेश ने अपनी बेटी को दफनाने (Child Crime) के लिए जैसे ही मिट्टी खोदा तो मिट्टी पर फावड़ा लगने से एक मटकी फूट गई, उस मटकी के अंदर से एक बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी.
अचानक मटकी के अंदर से बच्ची के रोने की आवाज सुनकर पूरा परिवार डर गया. इन लोगों ने श्मशान के चौकीदार को इसकी जानकारी दी. काफी हिम्मत जुटाकर फिर बच्ची को किसी तरह बाहर निकाला गया. बच्ची (Child Crime) के बाहर आने के बाद मौके पर मौजूद कुछ लोग उसे लेकर सीधे अस्पताल गए.
जबकि कुछ लोगों ने मृतक बच्ची को गड्ढ़े में दफनाने का कार्य किया. परिवार के सदस्यों ने बच्ची को जिला अस्पताल के शिशु केयर सेंटर में भर्ती कर तुरंत ही पुलिस को इसकी सूचना दी. पुलिस घटना की जांच में जुटी है.
बच्ची को मिला सीता का नाम – Child Crime
बच्ची को जमीन से बाहर निकालने के बाद स्थानीय लोगों ने उसे सीता नाम दे दिया है. नवजात की हालत बहुत ज्यादा गंभीर बनी हुई है. वजन कम होने के साथ-साथ बच्ची के खून में इंफेक्शन भी है. नवजात का वजन 1.1 किलोग्राम है और उसे ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है.
इसे भी पढ़ें: बेटे-बहू से तंग आकर 70 साल की महिला ने फिर बेटे को दिया जन्म, जानिए कैसे?
चिकित्सक के अनुसार बच्ची का जन्म समय से पहले हुआ है. बच्ची इसलिए बच गई क्योंकि प्रीमैच्योर बेबी (Child Crime) को कम ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. उसे सीधे जमीन में ना दफना कर पहले मटके में रखा गया फिर उसे दफनाया गया. जिसकी वजह से वह जिंदा थी.
इलाज करने वाले डॉक्टर का कहना है कि ‘बच्ची 48 घंटे से भी ज्यादा समय तक जिंदा रही जिस कारण उसके शरीर का ब्राउन फैट भी जल गया है.’ ‘ब्राउन फैट या ब्राउन एडिपोज टिश्यु शरीर में फैटी ऐसिड और ग्लूकोज को जलाकर शिशु को अधिक ठंड की स्थिति में भी जीवित रहने में मदद करता है.

डॉ. खन्ना ने बताया, ‘जमीन में दबी मिली बच्ची प्रीमैच्योर है जिसका गर्भनाल पहले ही गिर चुका है. उसका प्लेटलेट काउंट नॉर्मल रेंज 1.5 लाख से गिरकर मात्र 10 हजार रह गया है. फिर भी उसके जीवित रहने के संकेत दिखते हैं.’
नवजात को ट्यूब के जरिए मिल रहा खाना – Child Crime
बच्ची का नॉर्मल बॉडी तापमान मेनटेन करने की कोशिश कर रहे हैं जो कि फैट की अनुपस्थिति के चलते काफी गिर गया है. डॉक्टर ने आगे बताया कि वह ट्रीटमेंट पर रेस्पॉन्स कर रही है और इंप्रूवमेंट के साइन भी दिख रहे हैं. उसे ट्यूब के जरिए खाना दिया जा रहा है. और उसकी बॉडी प्रीमैच्योर बेबी फॉर्म्युला अपना रही है.
हालांकि जब तक कि उसके खून से इंफेक्शन दूर नहीं हो जाता, उसे ऐंटीबयॉटिक्स और इंटेंसिव केयर उसे दिया जाता रहेगा.’ दूसरी ओर बिथरी चैनपुर के विधायक राजेश मिश्रा ने इस बच्ची के पालन-पोषण का खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली है. जबकि हितेश कुमार ने उस बच्ची को अपना लिया है. #BabyGirl
(योदादी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)