अब क्रीमिया, पूर्वी व पश्चिमी अफ्रीका के बाद कांगो फीवर अब भारत में अपने पांव पसारना शुरू कर दिया है. 8 लोग इस बुखार की चपेट में आ चुके हैं. जबकि गुजरात में इसने तीन लोगों की जान भी ले ली है. गुजरात में कांगो फीवर (Symptoms of Congo Fever) बहुत तेजी से फैल रहा है.

यह फीवर एक वायरस के माध्यम से फैलने वाली बीमारी है. यह बीमारी जानवरों से इंसानों में फैलती है. जानवरों की चमड़ी में पाया जाने वाला जीवाणु जिसका नाम हिमोरल है. कांगो फीवर (Symptoms of Congo Fever) एक वायरल बुखार है, जो जानवरों के संपर्क में रहने से फैलता है. आमतौर पर इसके शिकार जानवर होते हैं लेकिन यह वायरस मनुष्यों में भी फैल सकता है.
इस बुखार का खतरा उन लोगों में अधिक है, जिनके घर में पालतू जानवर जैसे-गाय, भैंस, कुत्ता या भेड़-बकरी आदि जानवर हो. सबसे पहले वर्ष 1944 में क्रीमिया देश में इसकी (Symptoms of Congo Fever) पहचान हुई थी. फिर वर्ष 1969 में कांगो में इस रोग के पहले मरीज की पहचान हुई थी. साल 2001 में पाकिस्तान, ईरान व दक्षिण अफ्रीका में यह वायरस तेजी से फैला था.
अब इंडिया में यह वायरल पहली बार इतनी तेजी से फैल रहा है. गुजरात से ही यह बीमारी भारत में दस्तक दे दी है. यह वायरस फैलने के 3 से 9 दिन के अंदर गंभीर व जानलेवा बीमारी का रूप धारण कर लेती है. ज्यादातर यह टिक्स या पिस्सू के जरिए फैलती हैं.
कांगो फीवर के लक्षण – Symptoms of Congo Fever
1. कांगो फीवर में व्यक्ति के शरीर से तेज गति से खून का रिसाव होता है.
2. मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द, चक्कर आना, आंखों में जलन व तेज बुखार आना है. इस सामान्य से लक्षणों की वजह से कई बार लोग इसकी अनदेखी करते हैं.
3. इस बीमारी में व्यक्ति के शरीर के अहम अंग एक साथ काम करना बंद कर देते हैं.
4. पीड़ित व्यक्ति में चिड़चिड़ापन व आंखों में पानी आने की भी समस्या हो सकती है.
5. मरीज को उल्टी, पीठ दर्द के साथ ब्लड प्लेटलेट्स में तेजी से गिरावट आता है.
कांगो फीवर से बचाव – Protection from Congo Fever
इस बुखार के इलाज के लिए कोई विशेष टीका उपलब्ध नहीं है. यह फीवर (Symptoms of Congo Fever) डेंगू के समान ही है. इस बीमारी से बचने के लिए सावधानी ही सबसे महत्वपूर्ण है. किसी में अगर इस फीवर के लक्षण दिखें तो बगैर देरी किए चिकित्सक के पास जाए. और जल्द से जल्द खून कीं जांच करवाएं. अगर किसी के घर में पालतू जानवर है, तो उसकी पर्याप्त साफ-सफाई का ध्यान जरूर रखें.
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कुछ लोग ऐसे हैं जो जानवरों के संपर्क में अधिक रहते हैं. जानवरों के संपर्क में रहने की वजह से उन्हें कई सारी बीमारियों के होने का खतरा रहता है. मुख्य रूप से कुत्ते या बिल्ली जिन्हें आमतौर पर लोग गोद में लेते हैं, साथ में सुलाते व लाड़-प्यार भी करते हैं. इस तरह की बीमारियों से बचने के लिए पालतू जानवरों से दूरी बनाए रखें. हर वक्त जानवरों के पास मत रहें. बच्चों को इनसे दूरी बनाए रखें.
बारिश के दिनों में कोशिश करें कि उबले हुए पानी का ही सेवन किया जाए. वहीं पर्दे, बेडशीट और कालीन को समय-समय पर धूप में रख दें. ताकि उसमें मौजूद कण निकल जाए. घर से निकलते समय मुंह और नाक को अच्छी तरह ढक कर ही निकलें. इससे धूल कणों से बचाव होगा.
कांगो फीवर का इलाज – Congo Fever Treatment
इस बुखार का इलाज सामान्य फ्लू की तरह किया जाता है. इसे ठीक होने में समय लगता है.
1. हर्बल टी पीएं – Take Herbal Tea
कांगो फीवर (Symptoms of Congo Fever) से बचाव के लिए हर्बल टी का सेवन करें. हर्बल टी में आप अदरक, काली मिर्च, तुलसी के पत्ते, लौंग व मिश्री आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं.

2. योग करें – Do Yoga
कई योग भी ऐसे हैं जो कांगो फीवर से बचाव में सहायक होते हैं. जिसमें कपालभाति, प्राणायाम, संतुबंधासन, सर्वांगासन, वीरभद्रासन व अनुलोम-विलोम करें फायदा होगा. इन योगासनों से श्वसन प्रणाली को ठीक रखने व नाक की गंदगी को साफ रखने में भी मदद मिलती है.
इस बीमारी से बचने के लिए बस यही ध्यान रखें कि इसके लक्षण दिखते ही तुरंत इलाज शुरू कर दें. क्योंकि थोड़ी सी भी लापरवाही गंभीर रूप धारण कर सकती है. #CongoFever
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mujhe bhi 5 din se feaver ho rha hai or same condition kanhi mujhe bhi to ye kongo feaver nhi ho gya hai…