आज का युग डिजिटल हो चला है. डिजिटल जमाने में बड़ों के साथ बच्चों के लिए लिए भी डिजिटलाइजेशन जारी है. जमाने की मांग के अनुसार बच्चों के लिए भी डिजिटल खिलौने (digital toys) व ऐप बनाए जा रहे हैं. अब ध्यान देने वाली बात है कि क्या ये खिलौने बच्चों का भला कर रहे हैं? अमेरिकन अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल खिलौने बच्चों के लिए घातक हैं.
बच्चों को टीवी के सामने बैठा देने, स्मार्टफोन, टैबलेट व अन्य डिजिटल खिलौने देकर अभिभावक उनकी भलाई नहीं करते. बच्चों के विकास के लिए सबसे जरूरी है अपने आस-पास के लोगों से मिलना, दोस्तों के साथ मिलना, खेलना व बातें करना. जबकि डिजिटल खिलौने बच्चे को आलसी बना रहे हैं. इस खिलौने से खेलने वाले बच्चों का लोगों से लगाव कम होने लगता है.

असली खिलौने या किताबें बच्चों को अपने अभिभावक के करीब रखती है. जिससे बच्चे का पर्याप्त मानसिक विकास होता है. जबकि डिजिटल खिलौनों से ऐसा संभव नहीं है. अमेरिकन अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार दो या उससे कम उम्र के बच्चे के लिए कोई भी स्क्रीन देखना अच्छा नहीं है. दो वर्ष से उससे थोड़े बड़े बच्चे को एक दिन में मात्रा एक घंटे तक ही स्क्रीन को देखना चाहिए. चाहे वो टीवी हो, टैबलेट हो या डिजिटल गेम (digital toys).
आज के लोगों की ऐसी मानसिकता है कि वे डिजिटल गेम से बहुत कुछ सीखेंगे. यह सोच बच्चे को बहुत कम उम्र से ही डिजिटल गेम खेलने को देते हैं. जो कि उनके लिए बिल्कुल भी लाभदायक नहीं है. चिकित्सकों का मानना है कि दो से कम उम्र के बच्चों में सामाजिक, भावनात्मक और व्यहारिक कौशल विकास को विकसित करना जरूरी है. इस तरह का ज्ञान बच्चे अपने परिवार व आस-पड़ोस के लोगों से ही सीखते हैं ना कि डिजिटल खिलौने से.
रिपोर्ट की मानें तो…
रिपोर्ट के अनुसार बच्चे को डिजिटल खिलौनों (digital toys) से खेलते वक्त उनके साथ कोई बड़ा होना चाहिए. जो बच्चे को चीजों के बारे में अच्छी तरह से समझा सके. खिलौना खरीदते समय अभिभावक एक बात का ध्यान जरूर रखें. ऐसा खिलौना खरीदें जिसमें बच्चे अपनी कल्पनाओं को उपयोग करना सीखें.

हम आपको ऐसे गेम्स की जानकारी देने जा रहे हैं जिससे बच्चे का दिमाग तेज होगाः
– बच्चों के लिए फायदेमंद खिलौने (Beneficial Toys For Kids):
किसी भी इंसान को जिंदगी के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए अच्छी याददाश्त का होना बहुत जरूरी है. अच्छी याददाश्त वाले इंसान को सफल होने की संभावना ज्यादा रहती है. बच्चों की याददाश्त बढ़ाने के लिए माता-पिता न जाने क्या-क्या उपाय करते है. खासकर सभी अभिभावकों को ऐसा लगता है कि याददाश्त बढ़ाने के लिए सिर्फ स्वस्थ आहार ही पर्याप्त है. इसलिए वे बच्चे को दूध-धही, फल, मैवा समेत अन्य प्रोटीनयुक्त चीजें खाने के प्रति प्रेरित करते हैं. वैसे तो याददाश्त बढ़ाने में भोजन का भी काफी योगदान है. पर याददाश्त बढ़ाना एक कला भी है.
– दिमागी व्यायाम (Brain exercise):
याददाश्त बढ़ाने में दिमागी व्यायाम की भी अहम भूमिका है. अगर आप बच्चे में बचपन से ही दिमागी कसरत की आदत डालें तो उसका दिमाग तेजी से विकसित होता है. मस्तिष्क के अंदर विभिन्न हिस्से होते हैं. जीवन में सफलता हासिल करने के लिए सभी हिस्सों का बराबर विकास जरूरी है. बहुत से ऐसे माता-पिता हैं जो बच्चों पर पढ़ाई के लिए अत्यधिक दबाव बनाते हैं. जिससे बच्चे का तथ्यात्मक डाटा स्टोर होने वाले हिस्से का विकास होता है. पर कला और व्यवहारिक जीवन का ज्ञान उनमें अविकसित रहता है. इसलिए शुरू के दिनों से ही बच्चे में मानसिक व्यायाम करने की आदत डालना सही होता है.
1. बच्चों से छोटी-छोटी बातें पूछना (Asking small things from children):
आप बच्चे को हमेशा घर में रहने का दबाव ना बनाएं. बच्चे घूमना बहुत पसंद करते हैं. इसलिए अपने साथ-साथ उन्हें भी बाहर लेकर जाएं. इस दौरान बच्चे को अपनी दुनिया की जानकारी देना ना भूलें. जैसे आप बाहर जाते हैं तो लोग, दुकानें, चीजें, शब्द आदि की ओर ध्यान देते हैं. इसकी जगह जब बच्चे बाहर जाते हैं तो उन्हें रंग बहुत आकर्षित करता है. अच्छे रंगों वाली कोई खाने या खेलने की चीजें हो तो बच्चे उससे भी आकर्षित होते हैं.
इसलिए बाहर जाने पर आप बच्चों को उनकी दुनिया के साथ अपनी दुनिया से भी परिचय करवाएं. घर लौटने के बाद आप बच्चे से पिछले दिन के बारे में पूछें. जैसे उसने बाहर क्या-क्या देखा? उसे क्या चीजें पसंद आई? घूमते वक्त उसने क्या-क्या खिलौने देखा था? किन-किन लोगों के साथ मुलाकात हुई थी? ऐसा पूछने पर बच्चे की याददाश्त तेज होगी. इसके बाद से वह जब भी बाहर जाएगा वह चीजों को ध्यान से देखेगा.

2. नंबर वाले गेम्स (Number games):
अध्ययन की मानें तो नंबर वाले गेम्स भी बच्चों की याददाश्त बढ़ाने में मदद करती है. खासकर इसकी सहायता से बच्चे को गणित में मजबूत किया जा सकता है. इस गेम को आप रोचक बना सकते हैं, जिससे बच्चे रुचि लेकर इसे खेलेंगे. जैसे आप बच्चे को कोई अंक बता दें और उसे एक क्रम समझा दें कि उसे अगले दिन इसी क्रम में बोलना है. बच्चे से यह भी बोलिए कि अगर वह सही क्रम में इस अंक को आपके सामने पेश करते हैं उसे कुछ उपहार मिलेगा. इसके अलावा आप बच्चे से घर में कई तरह की चीजें गिनने को बोल सकते हैं. इससे बच्चे का गणित मजबूत होगा.
3. प्लेसेज गेम (Places Games):
प्लेसेज गेम की खास बात है कि यह बच्चे को चीजें सही जगह पर रखने में सहायता करता है. इस मजेदार गेम में आप बच्चे के किसी सामान को घर में ही कहीं छिपा कर रख दें. फिर बच्चे से उस सामान को खोजने को कहें. परेशानी होने पर आप बच्चे को समान रखी हुई जगह की हिंट भी दे सकते हैं. इससे बच्चे को घर के बारे में जानकारी मिल पाएगी. इसी गेम को आप विपरीत तरीके से भी खेल सकते हैं. जैसे बच्चा खिलौने को छिपाए और आप उसे ढ़ूंढ़ें. तो ऐसे में बच्चा अगर किसी सामान को कहीं रखा हो और मिल नहीं रहा हो तो उसको याद रहेगा कि वो उसे कहां रखा होगा.
4. चित्र व शब्द खेल (Picture and word games):
बच्चों के ऊपर शब्दों और चित्रों वाले खेल का प्रभाव जल्दी पड़ता है. इस खेल के माध्यम से उनमें चीजों को देखकर उसे तेजी से पहचानने का ज्ञान विकसित होता है. ऐसा गेम तो हम सब ने भी बचपन में खेला है. इस गेम को खेलने के लिए आप एक कॉपी लें और उस पर बहुत सारे शब्दों को लिख दें. फिर बच्चे को किसी विशेष शब्दों को चुनने को बोलें. इसके अलावा आप बच्चे को किसी पुरानी पुस्तक से किसी चीजों को पहचान कर उसे हाइलाइट करने को भी बोल सकते हैं.

5. छोटे-छोटे काम (Small tasks):
घर के मुश्किल कामों में बच्चे की सहायता बिल्कुल ना लें बल्कि आप उसे छोट-छोटे कामों में शामिल कर सकते हैं. रोजमर्रा के जीवन में घर में बहुत सारे छोटे-छोटे काम रहते हैं. जिसमें आप अपने बच्चे की मदद ले सकते हैं. ऐसा करने से बच्चे में घरलू ज्ञान का विकास होता है. इन कामों में फ्रिज में सामान रखना व निकालना, पानी की बॉटल भरना, घर में पड़ी किसी चीज को एक जगह से उठाकर दूसरी जगह रखना आदि. ऐसा करने से बच्चे को घर के छोटे-छोटे कामों की जानकारी मिलती है. डिजिटल गेम (digital toys) के मुकाबले यह काफी फायदेमंद है.
बच्चों के लिए खूबसूरत खिलौने यहां देखे जा सकते हैं –
जिंदगी की ऊंचाइयों को छूने के लिए जरूरी है बुद्धिमान होना. यह बात तो हर कोई जानता है. बच्चे के दिमागी विकास में खेल भी अहम भूमिका अदा करता है. बच्चे को तेज-तर्रार बनाने के लिए अत्याधुनिक युग के अभिभावक बच्चे को डिजिटल गेम (digital toys) देते हैं. यह गेम बच्चे को आलसी बनाने के साथ-साथ अपनों से लगाव भी कर देती है. बच्चे के लिए यहां कुछ गेम्स की जानकारी दी गई है. आप भी अपने बच्चे पर इसे लागू कर सकते हैं और यह माददगार भी होगा. ‘योदादी’ के साथ अपने अनुभव को कमेंट कर जरूर शेयर करें. #digitaltoys