बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में चमकी बुखार (Encephalitis Chamki Fever) के कहर ने अब तक करीब 111 बच्चों की जान ले ली है. यह बुखार तो मानों महामारी की तरह फैल गई है लेकिन समस्या है कि अब तक इस बीमारी के होने के कारण को लेकर रहस्य बरकरार है. कुछ डॉक्टरों का मानना है कि बच्चों की मौत लीची खाने की वजह से हो रही है तो कुछ गर्मी की वजह से चमकी बुखार का प्रकोप बता रहे हैं.
कुछ चिकित्सक कहते हैं कि यह बीमारी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम की वजह से फैल रही है अंतरराष्ट्रीय हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक लीची में कुछ ऐसे टॉक्सिन्स होते हैं जो बच्चों के लीवर में जाकर जम जाते हैं. तापमान बढ़ने पर यह विषैला तत्व पूरे शरीर में फैलने लगता है.

भोजन से अधिक लीची खाना भी हो सकती है वजह – Encephalitis Chamki Fever
वहीं वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर में लीची की पैदावार काफी होती है और इसी को खाने से चमकी नामक बीमारी फैली है. यह भी कहा जा रहा है कि जिन बच्चों ने भोजन की तुलना में अधिक लीची खाया है, खासकर जिन्होंने रात का भोजन नहीं किया हो वैसे ही बच्चों में चमकी (Chamki Fever Symptoms) के फैलने की पूरी संभावना रहती है.
एक और वजह सामने आ रही है जिसमें डॉक्टरों का कहना है कि जिन बच्चों ने लीची खाने के बाद पूरे दिन पानी कम पिया है उनके शरीर में सोडियम की कमी हो जाती है और वे दिमागी बुखार के शिकार हो जाते हैं.
जब बच्चे के शरीर में शुगर की मात्रा कम हो जाती है. तब मेटाबोलिज्म सिस्टम ग्लूकोज को बढ़ाने के लिए फैटी एसिड का निर्माण करता है. जब बच्चे के शरीर में शुगर की कमी होती है तो बॉडी इसे बैलेंस करने के लिए ज्यादा ग्लूकोज रिलीज करता है. उसी वक्त लीवर में जमा ग्लाइकोजेन नामक विषैला तत्व भी शरीर में फैल जाता है. जो चमकी बीमारी की वजह बनती है.
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लीची और चमकी बुखार का क्या है कनेक्शन – Encephalitis Chamki Fever
जांच में पता चला है कि शुरुआती मामलों में कुछ संक्रमित बच्चों ने लीची का सेवन किया था. इसका पता चलने के बाद ही जांच शुरू की गई कि क्या लीची ऐसी बीमारी (Chamki Fever Symptoms) का कारण बन सकती है? क्योंकि वैज्ञानिक रूप से बिहार में बच्चों की चमकी बुखार से लगातार हो रही मौत का कारण लीची नहीं पाया गया है.
जबकि वर्ष 2014 में भी बिहार में चमकी नामक बीमारी से सैकड़ों बच्चों की मौत हुई थी. उस संबंध में वर्ष 2017 में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि इस तरह की मौत का कारण लीची ही बन सकती है.
खाली पेट लीची खाना भी है जानलेवा – Encephalitis Chamki Fever
दरअसल कच्ची या अधपकी लीची में हाइपोग्लायसिन ए व मेथिलीन सायक्लोप्रोपाइल ग्लायसीन नाम के तत्व पाए जाते हैं. पेट अगर ज्यादा देर तक खाली रहती है तो शरीर में ब्लड शुगर का लेवल कम हो जाता है. यानी अगर रात को खाली पेट सोया जाए और सुबह उठकर लीची खाई जाए.
उनमें भी अधपकी या कच्ची लीचियों को खाया जाए तो दोनों तत्व मिलकर शरीर के ब्लड शुगर को बढ़ा देते हैं. इस वजह से भी कई बार स्थिति घातक हो जाती है. मुजफ्फरपुर वाले कई मामलों में देखा गया है कि कई बच्चे जो रात को खाली पेट सोये थे व सुबह उठकर लीची खा लिए थे, वे भी चमकी (Chamki Fever Symptoms) के शिकार हैं.
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लीची की वजह से ही तो नहीं हो रही मौत? – Encephalitis Chamki Fever
चमकी बुखार से जो बच्चे पीड़ित हैं उनमें से अधिकांश बच्चे उन इलाकों से हैं जहां लीची की पैदावार अधिक होती है. लेकिन इससे यह स्पष्ट नहीं होता है कि लीची ही इस बीमारी की वजह है.
चिकित्सक भी इस पर एकमत नहीं हैं. बिहार में वर्ष 2014 में जब चमकी बुखार का फैला था तब एक शोध किया गया था. इस शोध में वैज्ञानिकों ने कुछ तथ्य रखे थे जिसमें कहा गया था कि मौत की वजह चाहे जो भी हो लेकिन लीची का सेवन कई बार जानलेवा हो सकता है.

तेज गर्मी भी हो सकती है वजह – Chamki Fever Symptoms
कयास यह भी लगाया जा रहा है कि भारी गर्मी की वजह से भी बच्चे चमकी बुखार (Chamki Fever Symptoms) के शिकार हो रहे हैं. चिकित्सकों का यह भी कहना है कि गर्मी व चमकी बुखार का सीधा कनेक्शन होता है. पुराने आंकड़े देखे तो साफ-साफ पता चलता है कि दिमागी बुखार से जितने बच्चों की मौत हुई है वे सभी मई, जून व जुलाई के महीने मे ही हुई है.
मरने वालों में ज्यादातर बच्चे गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. ग्रामीण अंचलों में ऐसा भी जाता है कि निम्न आय वर्ग के बच्चे तेज गर्मी में भरी दोपहरी में भी खेत-खलिहान में खेलने निकल जाते हैं. धूप में खेलते वक्त ये पानी भी कम पीते हैं. इस दौरान सूर्य की गर्मी सीधे उनके शरीर को हिट करती है और फिर यही दिमागी बुखार का रूप ले लेता है.
बच्चे ही क्यों हो रहे चमकी के शिकार? – Encephalitis Chamki Fever
चिकित्सक का कहना है कि बच्चों के शरीर में इम्युनिटी कम होती है. जिसकी वजह से वे धूप की गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाते. शरीर में पानी की कमी होने पर बच्चे तुरंत ही हाइपोग्लाइसीमिया के शिकार हो जाते हैं.
कई बच्चों के शरीर में सोडियम की कमी भी हो जाती है. हालांकि तीन वर्ष पहले जब यह बीमारी हुई थी तब भी इसके कारणों की जांच की गई थी लेकिन उसमें सफलता नहीं मिली थी. फिलहाल तो इस बीमारी से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है ताकि बच्चों की जान बचाई जा सके.
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इसलिए बच्चों को जूठे व सड़े हुए फल खाने से रोकें, गंदगी से दूर रखें, खासकर गाय व सूअरों के पास जाने न दें. खाना खाने से पहले हाथ जरूर धुलवाएं. सबसे जरूरी बात कि गर्मी के दिनों में उन्हें धूप में बिल्कुल भी नहीं खेलने दें. दवा के अलावा सावधानी भी इस बीमारी का दूसरा इलाज है.
बच्चा अगर चमकी बुखार से पीड़ित है कि उसके शरीर में पानी की कमी बिल्कुल भी नहीं होने दें. इस बीमारी में शरीर में शुगर की कमी हो जाती है इस कमी को पूरा करने के लिए बच्चे को थोड़ी-थोड़ी देर पर मीठा देते रहें. बच्चे को कच्ची व अधपकी लीचियां भी खाने से रोकें. हालांकि इस बुखार का सही कारण लीची है या नहीं यह दावा करना अभी मुश्किल है. #ChamkiFever