किसी भी देश, समाज व परिवार की उन्नति की नींव शिक्षा है. हर मांता-पिता भी चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़-लिख कर एक बेहतर इंसान बने. इसके लिए ऐसा नहीं है कि आप बच्चे को किसी प्रतिष्ठित स्कूल में एडमिशन करा दें और बस आपकी ड्यूटी खत्म. यानी स्कूल के साथ-साथ और भी कई सारी चीजें पर जिस पर ध्यान रखना जरूरी है. बच्चे को सही शिक्षा के माध्यम से बेहतर इंसान बनाने की ख्वाहिश तभी पूरी होगी जब आप उस पर शुरू के दिनों से निगरानी रखेंगे.
जी हां बच्चे की पढ़ाई शुरू होते ही उस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. माता-पिता जब बच्चे का स्कूल में एडमिशन करवाते हैं और वह स्कूल जाना शुरू करता है तो उन्हें बड़ी खुशी होती है. बच्चे के लिए भी यह अनुभव बहुत खास होता है. इस कड़ी में यह भी जरूरी है कि उसके स्कूल के पहले सप्ताह (First week of school) में बच्चे से कुछ सवाल करें. इससे आपको बच्चे की पसंद और स्कूल के बारे में कई अहम जानकारियां मिलेंगी.

यहां हम आपको पांच ऐसे सवाल बता रहे हैं जिससे आपको बच्चे के साथ होने वाली किसी तरह की समस्या का भी खुलासा हो जाएगा. और आप समय रहते उसका समाधान निकाल पाएंगे. एक जरूरी बात यह भी कि बहुत सारे बच्चे पहली बार स्कूल जाने में घबराते हैं और इस घबराहट को दूर करने की ड्यूटी भी माता-पिता की है. तो आइए जानते हैं इसका भी समाधान.
स्कूल का पहला सप्ताह – First week of school
1. आज के दिन का सबसे अच्छा हिस्सा क्या रहा?
सबसे पहले तो आप बच्चे से यह सवाल करें कि उसके लिए आज के दिन का सबसे अच्छा हिस्सा क्या था? इसके उत्तर बच्चा आपको यह जरूर बताएगा कि उसने आज पूरे दिन क्या किया है. उसके साथ क्या बुरा हुआ और क्या अच्छा. इस सवाल का जवाब देने पर बच्चे की सोच सकारात्मकता की ओर जाती है. बच्चा अगर जवाब दे कि उसका पूरा दिन ही अच्छा रहा, तो उससे फिर सवाल करें.
उससे पूछे कि अच्छे दिन में से अगर उसे कुछ परिवर्तन करना हो तो वो क्या बदलना चाहेगा? क्यूंकि अच्छे दिनों में भी कई ऐसी चीजें हैं जिसे हम पसंद नहीं करते हैं. आपका बच्चा अगर हर दिन एक ही समस्या बताता है तो फिर बच्चे की इस समस्या का हल निकालने की कोशिश करें.
2. आज आपने किसके साथ खेला?
स्कूल में आपके बच्चे के दोस्त कौन हैं और बच्चा किसके साथ खेलता है, इसका पता रखना महत्वपूर्ण है. बच्चा अपने दोस्तों के साथ किस तरह के खेल खेलता है? उसे किस तरह के खेल खेलना पसंद है. यह भी पता चलेगा कि वह अपने दोस्तों से खुश है या नहीं. वह अपने दोस्तों के बारे में किस तरह की बातें करता है. बच्चे से अगर आप ये तमाम जानकारी रखते हैं तो इससे पता चलता है कि आपको बच्चे की काफी चिंता है.
3. आपने आज पूरे दिन क्या किया?
स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद जब बच्चा शाम को घर लौटता है तो उसके दिमाग में दिन भर के क्रियाकलाप रहते हैं. इसलिए आप बच्चे से सवाल करें कि आज पूरे दिन उसने ऐसा क्या किया जो कल नहीं किया था? यानी आज के दिन उसने क्या नया सीखा है? इसके उत्तर में बच्चा कभी ऐसा नहीं बोलेगा कि उसने पूरे दिन कुछ नहीं किया. वह तुरंत अपने दिनभर की गतिविधियां बताएगा. इससे बच्चे ने स्कूल में दिनभर जो कुछ नया सिखा है वह उसे फिर से याद आ जाएगा. ऐसे में बच्चा नई-नई जानकारियों को भूलेगी नहीं.
4. किसी को मुस्कान देने के लिए आज आपने क्या किया?
हर इंसान में दया की भावना होनी चाहिए. बच्चे को शुरू के दिनों से इसके लिए गाइड करना जरूरी है. वो इसलिए क्यूंकि आपका बच्चा स्कूल में किसी को मारता तो नहीं है. अगर नहीं तो फिर अच्छी बात है. आप बच्चे को यह ज्ञान अवश्य दें कि कभी किसी को रुलाए नहीं. अपने स्वभाव से बच्चा अगर किसी को खुश करता है तो य बहुत ही अद्भूत चीज है. आपका बच्चा खुशी और दया फैला कर किसी के दिन को रोशन कर रहे हैं. बच्चे को समझाएं कि यह छोटी सी मुस्कान बहुत किमती है.
ये चार सवाल आपको यह जानने में मदद करेंगे कि आपके बच्चे की स्कूली शुरुआत कैसे हो रही है. समय पर इस तरह के सवाल आप बच्चे से करते रहें. इस तरह की बातचीत से अगर बच्चे के साथ किसी तरह की समस्या आ रही है तो उसका तुरंत समाधान करने में मदद मिलेगी. बच्चे की इस जांच के लिए स्कूल जाते वक्त या स्कूल से लौटते वक्त का की सवारी करना सबसे बेहतर मौका हो सकता है.
क्या करें जब बच्चा पहले दिन स्कूल जाने से घबराए – First week of school
पहली बार स्कूल जाने में किसी भी बच्चे को घबराहट महसूस होना सामान्य सी बात है. क्यूंकि बच्चे के लिए यह अनुभव बिल्कुल नया होता है और उसके दिमाग में कई तरह के सवाल चलते रहते हैं. पहले दिन स्कूल जाना अधिकतर बच्चों के लिए टेंशन वाला दिन हो सकता है. क्या आपके घर में भी कोई छोटा बच्चा है जो स्कूल जाने को लेकर चिंतित है? तो आपकी सहायता के लिए यहां पांच टिप्स दिए जा रहे हैं जो आपके बच्चे को स्कूल जाने के लिए उत्साहित करने में मदद करेगा.
बच्चे से पूछे वह क्यों चिंतित है?
आपको अगर महसूस हो रहा है कि आपका बच्चा स्कूल जाने के नाम पर चिंतित है तो उसकी चिंता को जानना जरूरी है. आप उससे पूछें कि वह क्यों चिंता कर रहा है? बच्चा जब अपने तनाव का कारण आपको बताएगा तो उसे अंदर से हल्का महसूस होगा. साथ ही उसकी समस्या सुनने के बाद आप उसे नजरअंदाज ना करें बल्कि इस बारे में उसे समझाने की कोशिश करें.
मैं आपकी कैसे मदद कर सकता हूं?
बच्चे की समस्या जानने के बाद खुद से हल निकालने की बजाय एक मौका अपने बच्चे को दें. उसी से पूछें कि मैं आपकी कैसे मदद कर सकता हूं? इस प्रश्न से बच्चा खुश होकर समाधान का रास्ता बताएगा. हो सकता है वो आपको पहले दिन साथ में स्कूल जाने को बोले. या फिर कुछ स्नैक्स से ही बात बन जाए.
बच्चे की पसंद के अनुसार समझाएं
बच्चे को स्कूल जाने के प्रति उत्साही बनाने का एक सबसे बेस्ट माध्यम है आप उसे सकारात्मक टिप्स दें. आपने घर में भी देखा होगा जब आपका बच्चा बोर फील करता है तो सोशल मीडिया पर दोस्तों को देखता है. बस अब आप बच्चे से उल्लेख करें कि जिन दोस्तों को वो शोसल मीडिया पर देखता है उन्हें हर दिन स्कूल में देखना कितना अच्छा होगा. ठीक इसी तरह जिस बच्चे को गणित पसंद हो उसे आप समझाएं कि उसे स्कूल में नए-नए गणित सीखने के अवसर मिलेंगे.
स्कूल का हर वर्ष नई शुरुआत का मौका
पिछले स्कूल वर्ष में बच्चे की शैक्षणिक या सामाजिक विफलताएं उसके भविष्य की उम्मीदों पर प्रभाव डाल सकती है. और हो सकता है इसी विफलता की वजह से बच्चा स्कूल जाने से घबराता हो. इसलिए बच्चे का मनोबल गिराने की बजाय उसे प्रोत्साहित करने का प्रयास करें. उसे नए सिरे से शुरुआत करने में मदद करें.
चिंतित बच्चे से क्या ना बोलें
हमेशा याद रखें अगर आपका बच्चा स्कूल के पहले दिन को लेकर चिंतित है तो उसे ऐसी कोई बात ना बोलें जिससे उसका मनोबल कमजोर हो. क्यूंकि हतोत्साहित करने वाली भषा बच्चे की चिंताओं को और बढ़ा सकती है. चिंता बढ़ने की वजह से बच्चे का अपने उपर से भरोसा टूट सकता है.
बच्चे को क्या बोलें – First week of school
1. डरने की कोई बात नहीं है.
2. स्कूल में आप बिल्कुल ठीक रहेंगे.
3. यह कोई बहुत बड़ी बात नहीं है.
ध्यान रहे कि बच्चे की चिंता वास्तविक है और इसका समाधान करना हर माता-पिता की ड्यूटी. यहां बताए गए वाक्यांश बच्चे की चिंता को जरूर कम करेंगे. हो सकता है कि आपका बच्चा पहले दिन स्कूल जाने के बाद और ज्यादा नर्वस हो जाए तो इसमें चिंता करने वाली कोई बात नहीं है. आप उसकी मदद की प्रक्रिया जारी रखें, क्यूंकि बहुत सारे बच्चे एक या दो सप्ताह में सामान्य हो जाते हैं.
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