ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन (Climate Change) हो रहा है. प्रकृति का संतुलन बिगड़ने की वजह भी यह ग्लोबल वॉर्मिंग ही है. मानव गतिविधियों के कारण ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभावों की वजह से तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है.
ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण हो रहा जलवायु परिवर्तन भविष्य में कई प्रजातियों के विलुप्त होने का सबसे बड़ा कारण हो सकता है. ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से तापमान के कुछ डिग्री सेंटीग्रेट ऊपर-नीचे होने भर से कई प्रजातियों के विलुप्तीकरण का खतरा उत्पन्न हो जाता है.

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) पर स्वीडन की 15 वर्षीय पर्यावरण ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग के भाषण ने लोगों को चौंका दिया. यूएन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्पीच से पहले इस ऐक्टिविस्ट ने दुनियाभर के नेताओं को अपनी चिंताओं और सवालों से झकझोर दिया. संयुक्त राष्ट्र की उच्चस्तरीय क्लाइमेट ऐक्शन समिट में UN महासचिव गुतारेस समेत दुनिया के तमाम बड़े नेतागण उपस्थित थे.
इस मौके पर ग्रेटा थनबर्ग ने अपने भाषण से जो सवाल दागे, उसका उत्तर किसी के पास नहीं था. ग्रेटा ने यूएन महासचिव के सामने वर्ल्ड लीडर्स से कहा कि आपने हमारे बचपन, हमारे सपनों को छीना है. आपकी हिम्मत कैसे हुई? तो सभी निरूत्तर थे. हालांकि मैं अभी भी भाग्यशाली हूं. लेकिन लोग झेल रहे हैं, मर रहे हैं, पूरा इको सिस्टम बर्बाद हो रहा है.
जलवायु परिवर्तन चिंताजनक – Climate Change
बच्ची भावुक थी और उसके शब्दों ने सबको झकझोर दिया. ग्रेटा ने विश्व के नेताओं पर कुछ न करने का आरोप लगाया है. ग्रेटा थनबर्ग ने कहा आपने हमें असफल कर दिया. युवा भी समझते हैं आपने हमें छला है. बड़ों की चिंता इस विषय पर बिल्कुल नहीं है, क्योंकि उन्हें बच्चों की कोई फिक्र नहीं है.
हम युवाओं की आंखें आप लोगों पर है और अगर आपने हमें फिर असफल किया तो हम आपको कभी माफ नहीं करेंगे. लाखों लोगों की भावनाओं को झकझोरने वाली ग्रेटा थन्बर्ग पूरी दुनिया में मशहूर हो चुकी हैं. ग्रेटा ने किशोरों की एक बड़ी लड़ाई को जन्म दिया है.
जो “स्कूल स्ट्राइक फॉर क्लाइमेट” से जानी जा रही है. इस आंदोलन ने यूरोप की ग्रीन पार्टियों को वापस मुख्यधारा में ला दिया. यूरोप के कई देशों ने आंदोलन के दबाव में जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की अपनी नीतियों में बड़े संशोधन भी किए.
घर से की शुरुआत – Climate Change
ग्रेटा का जन्म 2003 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुआ था. 8 वर्ष की उम्र में ग्रेटा को जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के बारे में जानकारी मिली थी. 15 वर्ष की उम्र तक उसके अंदर इस विषय को लेकर गहरी चिंता ने घर कर लिया. वह स्वीडन की एक ओपेरा सिंगर हैं और उनके पिता स्वांते टनबर्ग पत्रकार हैं.
करीब दो वर्षों तक उन्होंने अपने घर के माहौल को बदलने का काम किया है. इनका परिवार अब पूरी तरह से शाकाहारी हो चुका है. उन्होंने विमान से यात्राएं भी बंद कर दीं क्योंकि इन चीजों से कार्बन का उत्सर्जन काफी होता है.
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अगस्त 2019 में टुनबर्ग यूके से यूएस एक ऐसे जहाज में गईं जिनमें सोलर पैनल और अंडरवॉटर टर्बाइन लगे हुए थे. उनके जहाज से कार्बन का जीरो उत्सर्जन हो रहा था. 15 दिनों की इस यात्रा के बाद उन्होंने न्यू यॉर्क में एक जलवायु सम्मेलन में हिस्सा लिया था.
एस्पर्जर सिंड्रोम से प्रभावित हैं ग्रेटा – Climate Change
15 वर्षीय यह एक्टिविस्ट एस्पर्जर सिंड्रोम नाम की मानसिक अवस्था से प्रभावित हैं. ऐसी स्थिति में लोग कुछ खास विषयों पर चिंता में डूब जाते हैं. उन्हें किसी मुद्दों पर गोलमोल बोलना नहीं आता. उन्हें तस्वीर काली या सफेद ही दिखाई देती है.
देखा जाता है कि ऐसे लोग आमतौर पर सामाजिक मेलजोल में अपरिपक्व होते हैं. ग्रेटा ने अपनी इस कमज़ोरी को बड़ी ताकत में बदल लिया. जिसकी वजह से आज वह जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के आंदोलन के इतिहास में शामिल हो गई हैं.
ग्रेटा के इस विश्व व्यापी आंदोलन का नाम Fridays for Future है. जलवायु परिवर्तन को लेकर 150 देशों में विरोध प्रदर्शन की योजना है. इसका उद्देश्य दुनिया भर के छात्रों और अन्य लोगों को ग्रह पर जलवायु परिवर्तन के आसन्न प्रभावों के बारे में एक स्वर में बताना है.
जलवायु परिवर्तन पर ग्रेटा पिछले वर्ष दिसबंर में पोलैंड में संयुक्त राष्ट्र की बैठक में भी बोल चुकी हैं. जनवरी में दावोस में वर्ल्ड इकनोमिक फोरम, लंदन में ब्रिटिश संसद में, इटली की संसद में और फ्रांस में यूरोपियन संसद में भी बोल चुकी हैं.
17 सिंतंबर को अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में थी. वहां पर सिनेट की जलवायु परिवर्तन पर बनी कमेटी से मुलाकात की थी. कांग्रेस में खड़ी होकर ग्रेटा ने अमरीका को लताड़ा था. राष्ट्रपति ट्रंप को निशाने पर लेते हुए उसने कहा कि कैसे अमेरिका पेरिस समझौते से बाहर आ गया.
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