हिमोफीलिया एक अनुवांशिक बीमारी है. जिसमें कटने के बाद खून का थक्का बनना बंद हो जाता है. जबकि सामान्य तौर पर शरीर का कोई हिस्सा कटने पर खून में थक्का बनने के लिए जरूरी घटक उसमें मौजूद प्लेटलेट्स से मिलकर उसे गाढ़ा कर देते हैं. जिससे खून बहना बंद हो जाता है. हिमोफीलिया से ग्रस्त लोगों में थक्के बनाने वाले घटक की मात्रा कम होती है. जिसकी वजह से ऐसे लोगों का खून लगातार बहता रहता है. जिससे व्यक्ति की मौत (Hemophilia in Hindi) तक हो जाती है.

इस बीमारी के अन्य कारणों से होने की संभावना बहुत कम रहती है. यह ज्यादातर अनुवांशिक कारणों से ही होती है. यानी अगर माता-पिता को ये बीमारी है तो उनके बच्चे भी जरूर हो सकती है. यह दो किस्म (Hemophilia in Hindi) का होता है. हीमोफीलिया ए और हीमोफीलिया बी. हीमोफीलिया की बीमारी बहुत ही दुर्लभ है. 10 हजार में से एक मरीज में यह बीमारी पाई जाती है. जबकि बी के मरीज 40 हजार में से एक पाए जाते हैं. समस्या है इस गंभीर बीमारी के प्रति लोगों में जागरुता की कमी है.
हीमोफीलिया के तीन स्तर – Hemophilia in Hindi
इसके तीन स्तर होते हैं, हल्का, मध्यम व गंभीर. हल्के स्तर में शरीर में थक्का बनाने वाले घटक 5 से 50 फीसद तक होते हैं. मध्यम स्तर में यह घटक 1 से 5 प्रतिशत तक होते हैं. जबकि गंभीर स्तर में 2 फीसद से भी कम होता है. यह बीमारी बच्चे में जन्म से ही हो सकती है. अगर बीमारी हल्के स्तर की है तो इसका आसानी से पता लगाया जा सकता है. ज्यादातर देखा जाता है कि जब बच्चे का दांत निकलता है तो खून बहना बंद नहीं होता. तब इस बीमारी कै पता चल पाता है.
कितनी बार ऐसा होता है जब चोट लगने के बाद खून बाहर नहीं निकलता बल्कि अंदर ही जम जाता है. हालांकि उस जगह पर दर्द की अनुभूति होती है. फिर वह धीरे-धीरे ठीक हो जाती है. कई बार बच्चे के जन्म के बाद इस बीमारी (Hemophilia in Hindi) का पता चलता है. बचपन में आंतरिक स्त्राव के कारण कुछ लक्षण सामने आने लगते हैं. जबकि गंभीर स्तर के हीमोफीलिया में खतरा ज्यादा रहता है और जोर का झटका लगने पर भी वह स्त्राव शुरू हो जाता है.
थर्मोप्लास्टिक की कमी से होती है बीमारी –
हीमोफीलिया इतनी गंभीर बीमारी है कि अगर दुर्घटना के वक्त खून निकलना शुरू होता है तो लगातार निकलता ही रहता है. जिससे इंसान की मौत तक हो जाती है. यह बीमारी रक्त में थर्मोप्लास्टिक नामक पदार्थ की कमी के कारण होती है. जिसमें इसकी कमी होती है उस रोगी में कभी-कभी आंतरिक ब्लिडिंग शुरू हो जाती है. महिलाओं की तुलना में यह बीमारी पुरुषों में ज्यादा होती है.
अधिकतर लोगों को चोट लगने पर ही इस बीमारी की जानकारी होती है. इस बीमारी का वैसे तो कोई इलाज नहीं है. रक्त के थक्के की कमी को पूरा कर ही इसका उपचार किया जाता है. इंडिया में डेढ़ लाख से ज्यादा लोग इस बीमारी (Hemophilia in Hindi) के शिकार हैं. पहले इसका उपचार करने के लिए सप्ताह में तीन इंजेक्शन लेना होता था. पर अब ऐसा इंजेक्शन है जिसे महीने में सिर्फ एक बार त्वचा पर लगाया जाता है.
लक्षण – Hemophilia in Hindi
- इस बीमारी के कई लक्षण हैं. जैसे –
- त्वचा आसानी से छिल जाना.
- नाक से खून निकलना.
- आंतरिक रक्तस्त्राव की वजह से जोड़ों में दर्द.
- मसूड़ों से खून निकलना.
- हीमोफीलिया में कितनी बार सिर के अंदर भी रक्तस्त्राव शुरू हो जाता है. इसमें धुंधला दिखना, उल्टी होना, गर्दन में अकड़न, बेहोशी व तेज सिरदर्द जैसी समस्या होती है.
- पेशाब के रास्ते खून बहना.
- शरीर में बगैर कारण चोट के निशान बन जाना.
क्या है इलाज – Hemophilia in Hindi
पहले के समय में हीमोफीलिया का इलाज (Hemophilia in Hindi) असंभव था. जैसे-जैसे तकनीक में उन्नति हुई वैसे-वैसे इसका भी इलाज संभव हुआ. अभी तो घटकों की कमी को इंजेक्शन के माध्यम से पूरा कर दिया जाता है. दवाइयों से भी इसका इलाज संभव है.
इस घातक बीमारी के प्रति अमूमन लोग अनजात रहते हैं. हमारे इस आलेख के माध्यम से आपको इस बीमारी की पहचान करने में सहूलियत होगी. अगर आपके सामने इसका कोई मरीज मिले तो आप हमारे इस आलेख में दी गई जानकारियों को साझा कर सकते हैं. पर हां ‘योदादी’ के साथ अपने अनुभव को कमेंट कर जरूर शेयर करें. #Haemophilia