हमारे देश में हेपेटाइटिस-बी (Hepatitis) के रोगियों की संख्या में लगातार वृद्धि ही हो रही है. यह एड्स से भी घातक बीमारी है. अनुमान है कि अभी देश में इसके रोगियों की संख्या करीब 5 लाख होगी. राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के सर्वे के मुताबिक देश में वर्ष 2012 में हेपेटाइटिस के करीब 1 लाख 20 हजार मामले सामने आए थे.
इस आंकड़े में लगातार तेजी से वृद्धि हो रही है. ऐसा माना जा रहा है कि एडस् से मरने वालों की तुलना में हेपेटाइटिस से मरने वालों की संख्या ज्यादा है. विशेषज्ञों की मानें तो इस बीमारी से लीवर के फेल होने से लेकर कैंसर तक की संभावना रहती है.
हेपेटाइटिस है क्या – What is Hepatitis?

संक्रामक बीमारियों के समूह को हेपेटाइटिस (Hepatitis) कह सकते हैं. जिसे हेपेटाइटिस ए.बी.सी.डी और ई के रूप में जाना जाता है. जहां तक इंडिया की बात है तो यहां हर किस्म के हेपेटाइटिस मिल जाते हैं. हेपेटाइटिस एक प्रकार से लीवर का सूजन है. यह एक्यूट व क्रॉनिक दो प्रकार का होता है. जिसमें से एक्यूट हेपेटाइटिस छह महीने तक रहता है वहीं क्रॉनिक ज्यादा समय तक रहता है.
ये रहे हेपेटाइटिस के प्रकार और उसके लक्षणः
हेपेटाइटिस ए –
इस बीमारी (Hepatitis A) का प्रमुख कारण दूषित भोजन व दूषित पानी है. इसलिए जरूरी है आप भोजन व पानी के प्रति सावधानी बरतें. इसके लक्षणों में बुखार, उल्टी, भूख कम लगना, लिवर में सूजन आदि शामिल है.
हेपेटाइटिस बी –
यह वायरस संक्रमित खून, सेल्विया, संक्रमित मां से शिशु में भी प्रवेश कर जाता है. इसके अलावा सेव करने के दौरान कट जाने से भी इस बीमारी का खतरा हो सकता है. इसलिए अपना रेजर किसी और के साथ साझा करना खतरनाक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार विश्व का हर तीसरा व्यक्ति हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B) से प्रभावित है.
यह ऐसी बीमारी है जिसे जल्द से पकड़ में आना भी मुश्किल है. इसका जल्दी पता नहीं चलने की वजह से यह अंदर ही अंदर इंसान को नुकसान पहुंचाता रहता है. यह रोग लीवर को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर देता है.
हेपेटाइटिस सी –
यह बीमारी (Hepatitis C) मुख्य रूप से संक्रमित रक्त के कारण फैलती है. असुरक्षित सुइयों के अलावा अन्य संचारित माध्यमों से इस बीमारी के फैलने की संभावना रहती है. इसके अलावा संक्रमित किसी व्यक्ति का टूथब्रश इस्तेमाल करने व टैटू बनवाने से भी इसका खतरा रहता है. यह वायरस का 20 साल तक पता लगाना मुश्किल होता है. जिस कारण फिबरोसिस व क्रॉनिक सिरोसिस जैसी बीमारियां भी हो सकती है.

हेपेटाइटिस डी –
अगर आपको हेपेटाइटिस डी (Hepatitis D) की शिकायत हो तो आपको हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना चाहिए. हेपेटाइटिस डी का अब तक कोई इलाज नहीं है. इसलिए हेपेटाइटिस बी का टीका लगाने से भी आप इस बीमारी से बच सकते हैं.
हेपेटाइटिस ई –
हेपेटाइटिस ई (Hepatitis E) का खतरा भी दूषित खान-पान व संक्रमित पानी पीने की वजह से ही होता है. हालांकि ए और ई ज्यादा खतरनाक नहीं होते और इनका इलाज भी संभव है.
कहीं आपको ये हेल्थ समस्याएं तो नहीं हैं?
इसके लक्षणों में भूख की कमी, मांसपेशियों में दर्द, पेट दर्द, आंख व त्वचा का पीला पड़ना व हल्का बुखार की शिकायत रहती है. यह गंभीर संक्रमण के लक्षण हैं. य लक्षण दिखते ही तुरंत चिकित्सक के पास जाना जरूरी होता है. हेपेटाइटिस ए और ई के लक्षण 2 से 4 हफ्ते में दिखने लगते हैं.
बारिश में विशेष रूप से बरतें सावधानी:
हेपेटाइटिस (Hepatitis) वायरस के फैलने वाली बीमारी है. बरसात के दिनों में इसका खतरा ज्यादा रहता है. इसलिए कहा जाता है कि बरसात के दिनों में पानी पीने से पहले उसकी अच्छे से जांच कर लें. अन्यथा यह हमारे लीवर को भी प्रभावित करता है. यह मौसम हेपेटाइटिस ई के खतरे को बढ़ा देता है.
ये रहे हेपेटाइटिस के इलाज ( Hepatitis Treatments)

हेपेटाइटिस एक शांत संक्रमण है. यह ऐसा संक्रमण है जो मां के गर्भ में पल रहे शिशु को भी हो सकता है. ऐसा है कि जिन्हें यह बीमारी होती है उन्हें इसकी जानकारी नहीं रहती. यही वजह है कि उनके संपर्क में आने वाले अन्य लोग भी इससे संक्रमित हो जाते हैं. हेपेटाइटिस ए के उपचार के लिए स्वस्थ पौष्टिक आहार व शुद्ध पानी पीने की सलाह दी जाती है व एचएवी टीके की सलाह दी जाती है.
हेपेटाइटिस बी में एचबीवी के टीके लगाने की सलाह दी जाती है. वहीं सी व ई के लिए टीका उपलब्ध नहीं है जबकि डी मामले में एचडीवी के टीके लगाने की सलाह दी जाती है. इन सबके अलावा जागरुकता के माध्यम से इस बीमारी को काफी हद तक रोकना संभव हो सकता है.
जागरूकता (Awareness) भी है बेहद जरूरी
प्रति वर्ष इस बीमारी से लाखों लोग संक्रमित होते हैं. यह बहुत ही खतरनाक बीमारी है लेकिन लोगों में इसके प्रति जागरुकता की कमी के कारण ही लाखों लोग इसके शिकार हो रहे हैं. सरकार की तरफ से भी इसके हेपेटाइटिस के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा. जबकि हेपेटाइटिस बी एड्स से भी ज्यादा खतरनाक है.
अगर सावधानी बरतने से किसी घातक बीमारी से छुटकारा मिल जाए तो फिर चिंता किस बात की. हेपेटाइटिस जैसी खतरनाक बीमारी को भी जागरुकता के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है. इस आलेख के माध्यम से हमने आपको इस बीमारी से संबंधी जानकारियां साझा की है. अपने अनुभव को ‘योदादी’ के साथ कमेंट कर जरूर शेयर करें. #Hepatitis