विरासत या धरोहर किसी भी देश के सांस्कृतिक व प्राकृतिक महत्व को समझने का एक सशक्त माध्यम होते हैं. ऐतिहासिक दृष्टि से विरासती इमारतों (World Heritage Day) का महत्व बहुत ज्यादा होता है. इसलिए इन इमारतों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाता है. इस संबंध में यूनेस्को का कहना है कि हमें अपनी अगली पीढ़ियों तक इन धरोहरों को बचा कर रखना चाहिए. इसके लिए पहले हम खुद इसके बारे में जानकारी हासिल कर लें. यूनेस्को ने भारत में 36 स्थानों, शहरों, इमारतों, गुफाओं आदि को विश्व धरोहर का दर्जा दे रखा है.

विरासत संरक्षण…
पूर्वजों द्वारा दी गई विरासत को संरक्षित रखने की जिम्मेदारी हमलोगों की ही है. किसी भी देश का इतिहास ही उसके वर्तमान व भविष्य को मजबूत करता है. जिस देश का इतिहास जितना गौरवपूर्ण होता है उस देश की विश्व में पहचान भी उतनी ही विशिष्ट होती है. ऐतिहासिक इमारतें ही किसी देश की सभ्यता व संस्कृति की पहचान होती है.
इसी उद्देश्य पूर्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को की तरफ से हर वर्ष 18 अप्रैल को ‘विश्व विरासत दिवस’ (World Heritage Day ) का पालन किया जाता है. विश्व धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त स्थलों के महत्व को समझने, उनकी सुरक्षा, उनके संरक्षण व उसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए इस विश्व धरोहर दिवस (वर्ल्ड हेरिटेज डे) को मनाया जाता हैं.
धरोहर ही हमारी संस्कृति को दर्शाती है और यही हमारे इतिहास की जानकारी देती है. अपने इतिहास व विरासत को बचाने की ड्यूटी भी हमारी ही है. दुनियाभर में 1052 विश्व धरोहर स्थल हैं जो बहुत महत्वपूर्ण है. जिसमें , 814 सांस्कृति, 203 प्राकृतिक जबकि 35 मिश्रित स्थल हैं. जबकि भारत में 27 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित धरोहर हैं. भारत में कुल 36 विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनकी सुरक्षा अपना हम सबकी जिम्मेदारी है.
ये हैं 36 धरोहर –
आगरा का ताजमहल, अजंता और एलोरा की गुफाएं, आगरा का किला, काजीरंगा, अभयारण्य, केवलादेव उद्यान, महाबलीपुरम और सूर्य मंदिर कोणार्क, मानस अभयारण्य हम्पी, गोवा के चर्च और फतेहपुर सीकरी, चोल मंदिर, खजुराहो मंदिर, पट्टादकल, एलिफेंटा की गुफाएं, सुंदरबन, सांची के बुद्ध स्मारक, हुमायूं का मकबरा और नंदा देवी का पुष्प उद्यान, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, चंपानेर पावागढ़, दिल्ली का लाल किला और जयपुर का जंतर-मंतर, नालंदा विश्वविद्यालय, कार्बूजिए की वास्तुकला, कंचनजंघा पुष्प उद्यान और अहमदाबाद शहर, भीमबैठका, कुतुब मीनार, हिमालयन रेल और महाबोधि मंदिर, गुजरात की रानी की वाव, पश्चिमी घाट, ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क और राजस्थान का किला.
वैश्विक स्तर पर ऐसे बहुत सारे ऐतिहासिक स्थल हैं जो बहुत खूबसूरत और अद्भूत हैं. पर हर किसी को विश्व विरासत स्थल की संज्ञा नहीं मिली. संयुक्त राष्ट्र की संस्था की तरफ से चयनित स्थलों को ही विश्व विरासत स्थल की श्रेणी में जगह दी गई. विश्व में ऐसी कई स्मारक और स्थल हैं जो इस सूची में शामिल हैं।
भारत के 10 प्रमुख धरोहर –

1. ताजमहल –
उत्तर प्रदेश के आगरा में यमुना तट पर स्थित खूबसूरत ताजमहल वर्ष 1983 से ही विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल है. तब से लेकर अब तक इसका स्थान दुनिया के 10 प्रमुख विरासती स्थलों में शामिल है. इसका निर्माण 17 हेक्टेयर जमीन पर मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा करवाया गया था. इसका निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था और इसे 1648 में पूरा कर लिया गया था. इसके निर्माण कार्य में कुल 22000 लोग लगे थे. भारत के साथ ही ईरान और मध्य एशिया से भी करीगर आए थे.

2. कुतुब मीनार –
कुतुब मीनार को दिल्ली गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनाया गया था. दिल्ली में स्थित वर्ष 1993 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल की सूची में जगह मिली थी. इसे भारत की दूसरी सबसे ऊंची मीनार का खिताब हासिल है. इसकी वास्तु कला भी अद्भुत है.

3. सूर्य मंदिर –
ओडिशा के कोणार्क शहर में स्थित सूर्य मंदिर भारत के विश्व विरासतों की सूची में तीसरे नंबर पर आता है. यह सूर्य मंदिर पुरी के उत्तर-पूर्वी किनारे पर समुद्र तक के निकट स्थित है. इसे 1984 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया था. गंग वंश के राजा नृसिंहदेव द्वारा इसे लाल बलुआ पत्थर एवं काले ग्रेनाइड पत्थर से बनवाया गया था.

4. खजुराहो का स्मारक समूह –
मध्यप्रदेश के छतरपुर में स्थित चंदेल वंश द्वारा बनवाए गए खजुराहो के स्मारक समूह को विश्व धरोहर स्थल की सूची में वर्ष 1986 में स्थान दिया गया. एक रिकार्ड के अनुसार खजुराहो में 12वीं सदी में स्थापित कुल 85 मंदिर थे. अब इनमें से मात्र 25 मंदिर ही बचे हैं. यहां के मंदिर नगारा वास्तुकला से स्थापित किये गए हैं. इसमें से ज्यादातर मूर्तियां कामुक कला को दर्शाती हैं.

5. महाबोधि मंदिर –
महाबोधि मंदिर बिहार के बोधगया में स्थित है. इसे 2002 में विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया गया था. इस मंदिर की डिजाइन स्तूप की तरह है. इसमें गौतम बुद्ध की बहुत बड़ी प्रतिमा स्थापित है. मान्यता है कि जहां गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था, यह मूर्ति वहीं स्थापित है. इसी स्थान पर तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने हीरों से बना राजसिंहासन लगवाया था. इसे उन्होंने पृथ्वी का नाभि केंद्र कहा था.
उद्यान…

6. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान –
यह असम का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है. असम काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एक सींग वाले भारतीय गैंडे का निवास है. इसका क्षेत्रफल 430 वर्ग किलोमीटर है. इसमें कई दलदल और ऊबर-खाबर मैदान भी हैं. 1905 में बने इस नेशनल पार्क में एक सींग वाला गैंडा, हाथी, भारतीय भैंसा, हिरण, सांभर, भालू, बाघ, चीता, सुअर, जंगली बिल्ली, बिल्ली, लंगूर, बत्तख, अजगर आदि जानवर व पक्षी बड़ी संख्या में हैं.

7. चोल मंदिर –
चोल शासकों द्वारा दक्षिणी भारत में निर्मित चोल मंदिर को वर्ष 1987 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया। मंदिर का निर्माण 11वीं सदी की शुरुआत में किया गया था. इसे तमिल भाषा में बृहदीश्वर नाम से जाना जाता है. यह मंदिर संस्कृत व तमिल पुरालेखों का उत्कृष्ट उदाहरण हैं. इसके निर्माण कला की एक विशेषता यह है कि इसके गुंबद की परछाई पृथ्वी पर नहीं पड़ती.
गुफाएं…

8. अजंता एलोरा की गुफाएं –
वर्ष 1983 में अजंता और एलोरा की गुफाओं को यूनेस्को की सूची में शामिल किया गया था. महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के निकट स्थित इसकी सुंदर चित्रकारी व मूर्तियां कलाप्रेमियों के लिए जन्नत के समान है. अजंता में कुल 29 और एलोरा में कुल 34 गुफाएं हैं. जो हमेशा से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है. आर्मी ऑफिसर जॉन स्मिथ व उनकी टीम मे इन गुफाओं की खोज वर्ष 1819 में की थी. जब वे यहां शिकार करने आए थे तभी उन्हें 29 गुफाओं की एक श्रृंखला मिली थी.

9. भारत का पर्वतीय रेलवे –
भारत के पर्वतीय रेलवे में दार्जिलिंग-हिमालयन रेलवे (पश्चिम बंगाल), नीलगिरी पर्वतीयर रेलवे (तमिलनाडु) और कालका शिमला रेलवे (हिमाचल प्रदेश) शामिल हैं. यह भी यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर की श्रेणी में शामिल है. ये रेलवे पहाड़ियों में रेल लिंक स्थापित करने की समस्या का मुकाबला करने के लिए किए गए इंजीनियरिंग कौशल का उत्कृष्ट उदाहरण हैं.

10. फतेहपुर सीकरी –
वर्ष 1986 में यूनेस्को ने फतेहपुर सीकरी को इस सूची में शामिल किया था. आगरा से 22 किलोमीटर दक्षिण स्थित इस छोटे से नगर को अकबर द्वारा बसाया गया था. फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा, सलीम चिश्ती की दरगाह, जोधाबाई का महल जैसे स्मारक हैं जो अपनी बेजोड़ स्थापत्य कला के लिए मशहूर हैं.
इस दिवस से संबंधित कुछ जरूरी तथ्य जिसके बारे में जानना जरूरी है –
- 18 अप्रैल को प्रति वर्ष विश्व विरासत दिवस (world heritage day) का पालन किया जाता है.
- संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था यूनेस्को द्वारा वर्ष 1983 में इसको मान्यता मिली थी.
- प्रारंभिक नाम इसका विश्व स्मारक और पुरातत्व स्थल दिवस था.
विश्व धरोहर दिवस…
- अपने पूर्वजों द्वारा मिली विरासत को संभाल कर रखने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस दिवस
(world heritage day) का पालन किया जाता है.
- वर्ष 2011 तक की जानकारी के मुताबिक विश्व विरासत स्थलों की कुल संख्या 911 थी. इसमें से प्राकृतिक 180, ऐतिहासिक 704 व मिश्रित स्थल 27 थे.
- एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने वर्ष 1968 में सर्वप्रथम ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने का प्रस्ताव रखा था.
- स्वीडन की राजधानी स्टाक होम में होने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन ने संयुक्त राष्ट्र के सामने इस प्रस्ताव को पारित किया था.
विरासती स्थल…
- सर्वप्रथम वर्ष 1978 में विश्व के केवल 12 स्थलों को ही विश्व विरासत स्थल के रूप में मान्यता मिली.
- फिर 1983 में भारत के चार स्थल ताजमहल, आगरा का किला, अजंता और एलोरा की गुफाओं को विश्व विरासत स्थल के रूप में मान्यता मिली.
- सन् 2007 के आंकड़ों के मुताबिक भारत के कुल 27 ऐतिहासिक स्थलों को विश्व सूची में सम्मिलित किया गया था.
रहें जागरूक…
अपने ऐतिहासिक धरोहरों (world heritage day) को संरक्षित रखने के लिए जन-जन का जागरूक होना जरूरी है. बचपन से ही अगर इसके प्रति जागरुकता लाई जाए तो इसका रिजल्ट काफी प्रभावशाली होता है. इसलिए किसी स्कूल या अपने आस-पास के बच्चों को लेकर ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कराने लेकर जाएं.
इस तरह के भ्रमण से उनके ज्ञान में वृद्धि होती है. इस दौरान उन्हें इन स्थलों को गंदगी मुक्त रखने की जानकारी दें. अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करें. अपने-अपने शहरों के ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण जरूर करें. अपने अनुभव को ‘योदादी’ के साथ कमेंट कर जरूर शेयर करें. #वर्ल्डहेरिटेजडे