भारतीय संस्कृति के हिसाब से नवजात शिशु की अच्छी तरह तेल मालिश करने से उनके शरीर को मजबूती मिलती है. सिर्फ शरीर को मजबूती नहीं बल्कि यह बच्चे को शांत करता है, वजन बढ़ाने, पाचन में सुधार के साथ ही दांत निकलने में आने वाली परिशानियों को भी कम करता है. भले ही शिशु मसाज (How to Massage a Baby in Hindi) के वक्त रो रहा हो फिर भी उसकी तेल मालिश की जाती है.

आपने देखा भी होगा जब आपके घर में कोई नया मेहमान यानि न्यू बॉर्न बेबी आता है तो सुबह, दोपहर, शाम या फिर इससे ज्यादा बार ही नवजात की जमकर मसाज की जाती है. इससे साफ जाहिर होता है कि मसाज का शिशु के जीवन और शरीर के साथ कितना गहरा नाता है. चलिए आब जानते हैं कि नवजात शिशु की मालिश (Shishu Ki Maalish) से क्या लाभ है और उनकी मसाज कब और कैसे की जानी चाहिए.
कैसे करें शिशु की मालिश – How to Massage a Baby in Hindi
बच्चे की मालिश के लिए उसके शरीर को अपने हाथों से हल्के से सहलाएं. मालिश के लिए आप तेल, क्रीम या फिर मॉइस्चराइजर का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. क्यूंकि चिकनाहट की वजह से मालिश करते समय बच्चे के शरीर को आराम से सहलाया जा सकता है. आप बच्चे की पेट, पीठ, छाती, हाथ, पैर व सिर की मालिश कर सकती हैं. मालिश करते समय गाना गुनगुनाने से बच्चे को आराम और चैन मिलता है और उसके शरीर में खुशी महसूस कराने वाला हार्मोन स्त्रावित होता है. इसे आक्सीटोसिन भी कहते हैं. इसके स्त्रावित होने से प्यार और सौहार्द की भावना पैदा होने में सहायता मिलती है.
मालिश के लाभ – Benefits of Massage to a Baby in Hindi
- शिशु को अपने माता-पिता का स्पर्श बहुत अच्छा लगता है. आपने देखा भी होगा कि एक रोते हुए बच्चे को खुद से लिपटा कर, गले लगा कर या पीठ सहला कर उसे बड़ी आसानी से शांत किया जा सकता है. मालिश भी स्पर्श का एक रूप है और इससे आपके बच्चे को कई तरह के फायदे मिल सकते हैं.
- यह सेहत को दुरुस्त बनाए रखने में मदद करता है. मालिश करने पर रक्त परिसंचरण और पाचनतंत्र में सुधार आता है.
- मालिश आपके बच्चे को अच्छी नींद लाने और पेट दर्द में मदद करती है. इससे मांसपेशियों को भी आराम और त्वचा को पोषण मिलता है.
- आपके बच्चे को संभालने और आपके आत्मविश्वास को बढ़ाने में मालिश मदद करती है. यह आपके नवजात शिशु को जानने का एक अच्छा तरीका है. इसकी मदद से आप बच्चे को संभालने में भी आश्वस्त हो जाती हैं.
मालिश के हैं अनेक लाभ – Shishu Ki Maalish
- पेट की मालिश करने से आपके शिशु के पेट संबंधी विभिन्न समस्याएं जैसे कब्ज, गैस व पेट दर्द भी कम हो जाता है.
- शिशु को मालिश करने का सबसे बेहतर समय तब होता है जब बच्चा भूखा न हो, थका न हो और ना ही नींद में हो. इसलिए सुबह, शाम और दिन में किसी भी वक्त बच्चे की मालिश कर सकती हैं.
- शिशु का मालिश करना उसे खिलाने-पिलाने, नहलाने और सुलाने के नियमित समय को निर्धारित करता है.
- कहा जाता है कि रोजाना मालिश का समय समान ही रखना चाहिए. क्यूंकि शिशु को रोजाना एक जैसी चीजों का होना पसंद होता है. दिनचर्या विकसित होने पर आपके बच्चे को यह पता होता है कि अब आगे क्या होने वाला है.
- रोजाना एक समान चीजों को करने से बच्चे को सुरक्षित महसूस होता है.
- हमेशा सोने से पहले भी बच्चे की मालिश करना अच्छा रहता है. ऐसा करने पर बच्चे को नींद अच्छी आती है. वैसे शुरू में नवजात के लिए नियमित क्रम में दिनचर्या निर्धारित करना मुश्किल हो सकता है. जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है वैसे –वैसे आप उसके लिए एक निर्धारित दिनचर्या बना सकती हैं.
- नवजात शिशु की तेल या लोशन की मालिश शुरू करने से पहले 10 से 14 दिनों तक प्रतीक्षा करने की सलाह दी जाती है. जबकि समय से पहले पैदा हुए बच्चों के लिए किसी भी तरह की मालिश शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना उचित होता है.
शिशु की मालिश से पहले क्या करें? – How to Massage a Baby in Hindi
1. नवजात की मालिश करने से पहले आप आरामदायक जगह का चयन करें. फिर बच्चे को तौलिया या कंबल पर लिटाएं.
2. शिशु को मालिश करते समय आप कुछ गुनगुना सकती हैं. अगर आपके शिशु की त्वचा पर एक्जिमा जैसी समस्या है तो फिर चिकित्सक की सलाह लेकर ही उसकी मालिश करें
3. शिशु की मालिश के लिए सरसों का तेल, क्रीम, अपरिष्कृत मूंगफली का तेल और लोशन आदि का इस्तेमाल ना करें. क्यूंकि ये सभी बच्चे की कोमल और नाजुक त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
शिशु को मालिश करने का क्या है तरीका? – Shishu Ki Maalish
सिर
पहले अपने हाथ में थोड़ा तेल लें और इसे शिशु के सिर पर थपथपाएं. अब सिर पर तेल फैलाने के लिए हल्के हाथों से सहलाएं. बच्चे के सिर पर नर्म स्थान का ख्याल रखें और उस पर दबाव न डालें.
चेहरा
बच्चे के चेहरे पर थोड़ा तेल लगाएं और अपनी उंगलियों से थपथपाएं. अब अपनी उंगलियों को माथे से ठोड़ी की तरफ ले जाएं. भौहों पर हल्का दबाव बनाकर अपनी उंगलियों को बाहर की दिशा में घुमाएं. इसके बाद बच्चे के नाक, गाल और ठोड़ी पर हल्के हाथों से सहलाएं.
पेट दर्द से राहत
पेट की मालिश करने के बाद शिशु के घुटनों को पेट तक मोड़ें और उस पर हल्का दबाव डालें. करीब 30 सेकंड के लिए इसी स्थिति में रखें. आप इस प्रक्रिया को कई बार दोहरा सकती हैं. शिशु की नाभि के नीचे पेट की मालिश करते वक्त नीचे की ओर हाथ से सहलाएं, इससे बच्चे के पेट से गैस निकल जाएगी.
पीठ
अब नवजात को पेट के बल लिटाएं और अपने दोनों हाथों से मालिश करने के लिए उसकी गर्दन के नीचे से नितंबों की ओर अपने हाथों को फेरें. आप अपनी उंगलियों से शिशु की रीढ़ की हड्डी पर हल्का दबाव बनाए रखते हुए उंगलियों को गोलाई में घुमाएं.
मालिश के दौरान रखें सावधानी – Shishu Ki Maalish
छाती
आप अपने दोनों हाथों को बच्चे की छाती के बीच में रखें और कंधों की ओर बाहर की तरफ हाथ फेरें. इस प्रक्रिया को कई बार दोहरा सकती हैं.
पेट
अब आप शिशु की पसलियों के नीचे से शुरू करते हुए पेट पर अपनी उंगलियों को गोल–गोल घुमाते हुए मालिश करें. साथ ही अपनी उंगलियों को नाभि के चारों ओर दक्षिणावर्त दिशा में घुमाते हुए भी मालिश करें. अपने हाथों को शिशु के पेट पर रखें और एक तरफ से दूसरी तरफ मालिश करें. शिशु की गर्भनाल अगर पूरी तरह से सूखी नहीं है तो उसके पेट की मालिश न करें.
पैर
अब आप शिशु के पैरों को जांघों से शुरू करते हुए टखने तक सहलाएं. बच्चे की जांघ को पकड़ें और अपने दोनों हाथों को विपरीत दिशाओं में हल्के–हल्के घुमाकर नीचे की ओर सहलाएं.
इसके बाद शिशु के पैर को पकड़ कर उसके तलुए पर एड़ी से पैर की उंगली तक अपने अंगूठे का उपयोग करके हल्का दबाव डालें. फिर शिशु के पूरे तलुए को सहलाने के लिए अपने हाथ का इस्तेमाल करें. मालिश करते समय उसके पैर की उंगलियों को हल्का सा खींचें और उसके टखनों के पास हाथ को गोल–गोल घुमाते हुए मालिश करें.
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