गर्भावस्था किसी भी महिला के लिए खुशियों भरा पल होता है. गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप (Hypertension Hazardous in Pregnancy) की समस्या महिलाओं के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. यह समस्या ज्यादातर उन महिलाओं में देखने को मिलती है जो पहली बार मां बनने वाली होती हैं. इस समस्या का मुख्य कारण अवसाद और तनाव है.
हालांकि इस समस्या का भी निदान है. इसके लिए जरूरी है सही सलाह व उपचार की. उच्च रक्तचाप में महिलाएं अगर सही इलाज करवाएं तो स्वस्थ बच्चा जन्म ले सकता है. इसलिए गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप संबंधी जानकारियां रखना जरूरी है. हम यहां आपको इससे संबंधी तमाम जानकारियां साझा कर रहे हैं.

कब शुरू होती है समस्या –
महिलाओं के 20 सप्ताह गर्भधारण करने के बाद उनमें हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension Hazardous in Pregnancy) की समस्या देखने को मिलती है. प्रेगनेंसी के दौरान जब महिला का ब्लड प्रेशर 140/90 mm hg से अधिक होने पर उसे उच्च रक्तचाप कहा जाता है.
अगर यह समस्या लंबे समय तक रहे तो यह दीर्घकालीक उच्च रक्तचाप क्रॉनिक हाइपरटेंशन कहलाता है. इससे उच्च रक्तचाप से गर्भवती के साथ बच्चे को भी परेशानी हो सकती है. यह इतना खतरनाक है कि इससे मरीज एक्लेंप्सिया में पहुंच जाता है. इसमें गर्भवती महिला को झटके आने लगते हैं.
प्रेगनेंसी में भ्रूण के विकास के साथ ही उच्च रक्तचाप (Hypertension Hazardous in Pregnancy) की यह समस्या गंभीर रूप धारण करने लगती है. इस स्थिति में अगर भोजन में पौष्टिक खाद्य पदार्थों का अभाव हो तो महिला रक्ताल्पता की शिकार हो जाती है. जिसकी वजह से मिसकैरेज की संभावना भी रहती है.

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के तीन प्रकार होते हैं. क्रोनिक हाइपरटेंशन, गेस्टेशनल हाइपरटेंशन व प्रीक्लेंप्सिया.
उच्च रक्तचाप से खतरा –
- गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप से गर्भस्थ शिशु की विकास प्रक्रिया बाधित होती है. जिसका प्रभाव शिशु के वजन पर पड़ता है.
- हाई ब्लड प्रेशर की वजह से गर्भनाल को नुकसान पहुंचता है. जिस कारण बच्चे में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होती है. उच्च रक्तचाप के कारण महिलाओं में रक्तस्त्राव भी हो सकता है.
- हाई बी.पी से समय से पहले ही डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है.
- गर्भावस्था के वक्त उच्च रक्तचाप से प्रसव के 20 सप्ताह बाद हृद्य की बीमारियों का खतरा बढ़ने की संभावना रहती है.
- बेहतर है प्रेगनेंसी के दौरान उच्च रक्तचाप के लक्षण दिखते ही तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें. इसके अलावा सही भोजन व नियमित जांच करवातें रहें. इसके द्वारा भी इन जटिलताओं को कम किया जा सकता है.

उच्च रक्तचाप का कारण –
- जो महिला 40 की उम्र के बाद गर्भवती होती है उनमें उच्च रक्तचाप (Hypertension Hazardous in Pregnancy) की पूरी संभावना रहती है.
- गर्भावस्था से पहले जिन्हें शुगर की शिकायत रहती है उनमें गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप का अधिक खतरा रहता है.
- जो गर्भावस्था से पहले उच्च रक्तचाप से पीड़ित हो तो उन्हें गर्भावस्था में भी हाई बी.पी की समस्या होती है.
- अधिक वजन वाली महिलाओं में भी गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की संभावना रहती है.
- गर्भ में एक से अधिक बच्चे के रहने पर भी गर्भवती को उच्च रक्तचाप की समस्या होती है.
- प्रथम बार मां बनने वाली महिलाओं में भी यह समस्या होना स्वाभाविक है.
- कम सक्रिय रहने वाली महिलाओं में भी इसकी पूरी संभावना रहती है.
- गर्भवती महिलाओं को सिगरट से दूरी बनाए रखना चाहिए.
लक्षण –
- नजर कमजोर होना व आंखो के सामने अंधेरा छा जाना.
- गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप (Hypertension Hazardous in Pregnancy) से पीड़ित महिलाओं को टॉयलेट कम आती है.
- प्रेगनेंसी में वजन बढ़ना तो आम बात है लेकिन गर्भावस्था में तेजी से वजन बढ़ना हाई बी.पी का कारण हो सकती है.
- गर्भवती महिलाओं के पेट के उपरी हिस्से में दर्द होना भी उच्च रक्तचाप के लक्षण हैं.
उच्च रक्तचाप का बच्चे पर प्रभाव –
- गर्भावस्था में हाई बी.पी से प्लेसेंटा में खून का संचार कम हो जाता है. जससे बच्चे को सही पोषण नहीं मिलता और बच्चा कुपोषण का शिकार हो जाता है.
- उच्च रक्तचाप की वजह से बच्चे का विकास तो रूक ही जाता है. इसकी वजह से बच्चा छोटा व समय से पहले भी हो सकता है. बच्चे को आई.सी.यू में भी रखना पड़ सकता है.

उच्च रक्तचाप का मां पर प्रभाव –
- महिलाओं मे बाद में दिल संबंधी या हार्ट अटैक जैसी बीमारी का खतरा बना रहता है.
- किडनी व लीवर काम करना बंद कर सकता है.
- इससे एक्लेम्पसिया की संभावना रहती है. जिससे गर्भवती के कोमा में जाने की संभावना बढ़ जाती है.
उच्च रक्तचाप से बचाव –
- बी.पी नियंत्रण के लिए महिलाओं को सीधा नहीं बल्कि करवट लेकर सोना चाहिए.
- सिगरेट व शराब से दूर रहने में ही भलाई है. यहां तक की सिगरेट का धुआं भी खतरनाक साबित हो सकता है.
- अच्छी तरह आराम करना फायदेमंद होता है.
- वजन पर नियंत्रण सबसे जरूरी है. वजन कम करने के लिए चिकित्सकीय परामर्श जरूरी है.
- तनाव से दूरी बनाए रखें. यानी किसी भी तरह का टेंशन लेने से बचें.
- खान-पान का ध्यान रखते हुए उच्च रक्तचाप डाइट चार्ट बना सकती हैं.
- हल्का व्यायाम भी उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मददगार होता है. ध्यान, योगासन व प्राणायाम करना लाभदायक रहेगा.
- चिकित्सक की सलाह से रोजाना 2-3 ग्राम कैल्शियम का सेवन जरूरी है.
गर्भावस्था के दिन किसी महिला के लिए सबसे अनमोल होते हैं. लेकिन इस दौरान की एक आम समस्या उच्च रक्तचाप गर्भवती के लिए चिंता का कारण बना रहता है. अगर आप हमारे इस लेख को पढ़कर अपनी परेशानी से निजात के लिए अपनाती हैं तो यह आपके लिए जरूर फायदेमंद होगा. लेकिन आप ‘योदादी’ के साथ अपने अनुभव को कमेंट कर शेयर करना मत भूलें. #HypertensionInPregnancy