‘भारतीय थल सेना’ के सम्मान में प्रति वर्ष 15 जनवरी को थल सेना दिवस का पालन किया जाता है. इस दिन देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है. अपने प्राणों का बलिदान देकर देश की सुरक्षा करने वाले वीर सपूतों के बारे में बच्चों को भी जानकारी देना आवश्यक है.
बच्चे ही देश के भविष्य हैं. अभिभावकों का फर्ज बनता है कि वे अपने बच्चों को भी भारतीय सेना के योगदान से संबंधित जानकारियां दें. इससे बच्चे में देश के प्रति त्याग व समर्पण की भावना जागृत होगी और बच्चा देश सेवा के प्रति प्रेरित होगा. भारत के हर नागरिक को भारतीय सेना की उपलब्धियों पर गर्व महसूस होता है. यही वजह है कि जब कभी बॉर्डर पर युद्ध लड़ते हुए कोई सैनिक शहीद होता है तो इससे सिर्फ उसके परिवार वाले ही नहीं बल्कि पूरा देश दुःखी होता है और यह होना भी चाहिए. बॉर्डर पर तैनात हमारे जवानों की बदौलत ही आज पूरा देश अमन-चैन से जी रहा है. हम खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं. सेना दिवस देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने की प्रेरणा का पवित्र अवसर है.
भारतीय सेना से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां, जिसे जानना हम सबके लिए जरूरी है.

कार्यकुशल भारतीय सेनाः
हमारी भारतीय सेना में कार्यकुशलता की कोई कमी नहीं है. ये सिर्फ सीमा सुरक्षा में ही दक्ष नहीं हैं बल्कि प्राकृतिक आपदाओं में भी यह देश की सुरक्षा में बेहद मददगार सिद्ध होती है. देश पर चाहे जो भी संकट आए भारतीय सेना हमारी सहायता के लिए सदैव तत्पर रहती है. आतंकियों से लड़ने, बाढ़ में राहत कार्य, ब्रिज टूटने पर बचाव कार्य, चुनाव में सुरक्षा व्यवस्था या फिर विशाल मेले में तीर्थयात्रियों की सुरक्षा जैसी कई सारी समस्याओं में सेना अपने कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन करती है. हमारी सेना जागती है तो देश चैन से सोता है. आज भारतीय सेना की शौर्य गाथाओं को याद करने का दिन है. यही दिन भारतीय सेनाओं को गर्व का अवसर प्रदान करती है.
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प्रथम भारत-पाक युद्धः
जब देश अपनी आजादी के जश्न में डूबा हुआ था तभी पाकिस्तान ने भारत पर हमला करने की तैयारी की थी. पूरे योजनाबद्ध तरीके से पाकिस्तानी सेना ने 22 अक्टूबर 1947 को भारत पर आक्रमण शुरू किया था और यह लड़ाई लगभग एक वर्ष तक चली थी. इस युद्ध की सबसे खास बात यह थी कि कुछ वर्ष पहले भारतीय सेना जिनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती थी, इस युद्ध में उन्हीं के खिलाफ लड़ना पड़ा था.

भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965):
भारत और पाकिस्तान के बीच अगस्त 1965 से सितंबर 1965 तक दूसरा कश्मीर युद्ध हुआ था. इस युद्ध में भारतीय सेना की जीत हुई थी. भारतीय सैनिकों ने अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सेना को हराया था. इस युद्ध में भारतीय जल सेना ने भी अपने बहादुरी का परिचय दिया था. इस युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने लाहौर तक मोर्चा खोल दिया था.
भारत-पाक युद्ध (1971):
वर्ष 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध विस्मरणीय है. इतिहास बदलने वाले इस युद्ध को कभी भुलाया नहीं जा सकता. इस युद्ध की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि युद्ध में पाकिस्तान के जनरल एएके नियाजी ने अपने 90 हजार सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया था. पाकिस्तान के इस कदम के बाद ही पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश नाम का एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया था. भारतीय सेना का यह गौरव हम भारतवासियों के लिए आशीर्वाद है.
कारगिल युद्ध (1999):
कारगिल युद्ध की यादें तो मानों आज भी जेहन में ताजा है. कारगिल युद्ध को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है. यह युद्ध मई 1999 से जुलाई 1999 तक कश्मीर के कारगिल जिले में चली थी. उस दौरान भारतीय इलाके में घुसपैठियों की उपस्थिति का पता चला था. इस धोखे के खिलाफ भारतीय सेना ने अपना शौर्य दिखाते हुए 26 जुलाई को आखिरी चोटी पर फतह पा ली थी. इसी दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. विश्व शांति के लिए भारत शुरू से ही दृढ़ संकल्पित रहा है. भारतीय सेना की तरफ से विश्व में शांति व सुरक्षा कायम करने की दिशा में हर संभव प्रयाय जारी है. भारतीय विदेश नीति के अनुरूप सेना ने संयुक्त राष्ट्र में भी शांति कायम रखने के लिए विभिन्न अभियानों में हिस्सा लेकर अपना योगदान किया था.

सेना दिवस कार्यक्रम की एक झलकः
15 जनवरी 1949 में भारतीय सेना ब्रिटिश सेना से पूरी तरह आजाद हुई थी. फिल्ड मार्शल केएम करियप्पा आजाद भारत के पहले सेना प्रमुख बने थे.
करियप्पा ने 1947 में भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व किया था. करियप्पा के प्रथम सेनाध्यक्ष बनने के उपलक्ष्य में इस दिन का पालन किया जाता है.
करियप्पा के पद ग्रहण करने से पहले भारतीय सेना के अंतिम ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल सर फ्रांसिस बुचर थे. उसके बाद भारतीय सेना आजाद हुई थी.
वर्ष 1949 में भारतीय थल सेना में करीब 2 लाख सैनिक थे जबकि आज इसकी संख्या करीब 13 लाख है.
सेना दिवस समारोह का आयोजन नई दिल्ली के इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति में भारत के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित कर शुरू होता है.

शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के बाद भारतीय सेना के जवानों द्वारा सेना दिवस परेड निकाला जाता है.
परेड शो में सैनिक अपने कार्यक्षेत्र की शक्तियों का प्रदर्शन करते हैं और इसी दिन सेना पदक और यूनिट क्रेडेंशियल्स जैसे वीरता पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं.
परेड में बीएलटी टी-72, और टी-90 टैंक, ब्रह्मोज मिसाइल, कैरियर मोटार्र ट्रैक्ट विहिकल, 155 एमएम सोलटम गन, सेना विमानन दल का उन्नत प्रकाश हेलीकॉप्टर आदि का प्रदर्शन होता है.
सैनिक अपनी सेवा को कायम रखने और राष्ट्र को सुरक्षित रखने के लिए कसम खाते हैं.सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के बाद सैनिक परेड और सैन्य शो का आयोजन करते हैं.
सैनिकों की इस परेड और शो में वे अपने जौहर और कार्यक्षेत्र की शक्तियों का प्रदर्शन करते दिखाई देते हैं. इस दिन सेना पदक और यूनिट क्रेडेंशियल्स (व्यक्ति की प्रामाणिकता) जैसे वीरता पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं.