ए.पी.जे.अब्दुल कलाम आजाद (Missile Man APJ Abdul Kalam) ना सिर्फ महान वैज्ञानिक, अद्भूत नेता बल्कि एक बेहतर इंसान भी थे. भारत की अग्नि मिसाइल को उड़ान देने वाले मशहूर वैज्ञानिक का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था. उनके प्रेरणादायक विचार आज भी युवाओं के लिए प्रेरणादायी स्त्रोत है. शुरूआती जिंदगी उनकी तकलीफमय गुजरी थी. उनके पिता कम पढ़े-लिखे व पेशे से मछुआरा थे.

वे अपनी नाव को किराये पर दिया करते थे. कलाम पांच भाई व पांच बहन थे. घर की आर्थिक स्थिति तंग होने की वजह से कलाम को अपनी शुरुआती शिक्षा ग्रहण करने के लिए समाचार पत्र बेचना पड़ा था.
रोजाना सुबह 4 बजे जगते थे कलाम – Kalam Memorial Day
अपनी 8 वर्ष की उम्र से कलाम (Missile Man APJ Abdul Kalam) रोजाना सुबह 4 बजे जगते और गणित की पढ़ाई करने चले जाते. इतनी सुबह-सुबह भी नहा कर जाना जरूरी था.
इसकी वजह यह थी कि उनके शिक्षक प्रति वर्ष पांच बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते थे. कलाम उनमें से एक थे. लेकिन शर्त थी कि अगर कोई बच्चा नहा कर पढ़ने नहीं जाएगा तो उसे पढ़ाया नहीं जाएगा.
ट्यूशन से लौटकर वे पहले नमाज पढ़ते और फिर सुबह 8 बजे तक रामेश्वरम रेलवे स्टेशन व हवाई अड्डा पर अखबार बेचा करते.
रोचक है ‘एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी’ में आने की कहानी – Missile Man APJ Abdul Kalam
कलाम (Missile Man APJ Abdul Kalam) के ‘एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी’ में आने की कहानी कक्षा पांचवी से शुरू हुई थी. उन्होंने बताया था कि पांचवी कक्षा में सुब्रह्मण्यम अय्यर उनके अच्छे शिक्षकों में से एक थे.
पढ़ाई के दौरान एक बार कक्षा में उन्होंने पूछा था कि चिड़ियां कैसे उड़ती है? कक्षा में इसका जवाब किसी ने नहीं दिया था. अगले दिन वे सबको लेकर नदी किनारे गए.
इसे भी पढ़ें: गुमनाम ब्लॉगर ‘गुल मकई’ बनी थी मलाला युसुफजई
वहां कुछ पक्षी उड़ रहे थे, कुछ समुद्र किनारे बैठे थे तो उतर रहे थे. तभी उन्होंने पक्षी के शरीर की बनावट जिसकी वजह से वह उड़ने में सक्षम होता है इसकी विस्तृत जानकारी दी.
उनके द्वारा समझाई गई बातें मेरे अंदर इस कदर बैठ गई कि मैं खुद को हमेशा रामेश्वरम के समुद्र तट पर ही महसूस करता था.
इस घटना से ही मुझे जिंदगी का लक्ष्य निर्धारित करने की प्रेरणा मिली थी. इससे प्रेरित होकर ही हमने उड़ान की दिशा में करियर बनाने का फैसला लिया था.
इसके बाद फिजिक्स की पढ़ाई करने के बाद मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की.
कलाम की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें –
- एपीजे अब्दुल कलाम (Missile Man APJ Abdul Kalam) आजाद का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को दक्षिण भारतीय राज्य तामिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था.
- कलाम 1962 में इसरो पहुंचे थे. इनके प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते इंडिया ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया था.
- रोहिणी उपग्रह को वर्ष 1980 में पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया था और भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया था.
- इसके बाद उन्होंने स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया. उन्होंने भारतीय तकनीक से अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें बनाई.
- उन्हें वर्ष 1982 में डीआरडीएल (डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री) का निदेशक बनाया गया था. अन्ना विश्वविद्यालय ने उन्हें उसी दौरान डॉक्टर की उपाधी से सम्मानित किया था. उस वक्त कलाम रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वीएस अरुणाचलम के साथ इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम का प्रस्ताव तैयार किया था. स्वदेशी मिसाइलों के विकास के लिए इनकी अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी.
मिला था पद्म विभूषण – Kalam Memorial Day
- पहले चरण में जमीन से जमीन पर मध्यम दूरी तक मार करने वाली मिसाइल बनाने पर जोर दिया गया था. दूसरे चरण में जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल, टैंकभेदी मिसाइल और रिएंट्री एक्सपेरिमेंट लांच वेहिकल (रेक्स) का प्रस्ताव था. त्रिशुल, आकाश, नाग और पृथ्वी नाम का मिसाइल बनाया गया. कलाम ने अपने सपने रेक्स को अग्नि का नाम दिया था.
- सबसे पहले सितंबर 1985 में त्रिशूल, फरवरी 1988 में पृथ्वी, मई 1989 में अग्नि का परीक्षण हुआ था.
- वर्ष 1998 में रूस के साथ मिलकर इंडिया ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम की शुरुआत की गई थी और ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई थी. ब्रह्मोस को धरती, आकाश व समुद्र कहीं भी दागा जा सकता है.
- इसी सफलता के साथ कलाम को मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्धि मिली व उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.
यह भी देखें…
- वर्ष 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण फिर 1990 में पद्म विभूषण व 1997 में भारत रत्न प्रदान किया था. भारत के सर्वोच्च पोस्ट पर नियुक्त होने से पहले भारत रत्न पाने वाले कलाम इंडिया के तीसरे राष्ट्रपति थे. इससे पहले सर्वपल्ली राधाकृष्णन व जाकिर हुसैन को ये उपाधी मिली हुई थी.
- कलाम (Missile Man APJ Abdul Kalam) वर्ष 1992 से 1999 तक रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे. उन्होंने ने ही विजन 2020 दिया था. जिसके तहत भारत को विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की के माध्यम से अत्याधुनिक बनाने की सलाह दी थी. वे इंडिया के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे.
27 जुलाई 2015 में इस मशहूर वैज्ञानिक ने दुनिया को अलविदा कह दिया था. 83 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हुई थी. कला आज भी करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्त्रोत हैं.
उनकी बोलने की कला हर किसी को आकर्षित करती थी. उन्हें सुनने वाले युवा जोश से भर जाते थे. सरल व्यक्तित्व वाले कलाम की बातें हर किसी को मंत्रमुग्ध करती थी. #KalamMemorialDay