इस दुनिया में मां और बच्चे का रिश्ता अनमोल होता है और प्रकृति ने इसे बेहद संजीदगी से तराशा है. खासकर नवजात बच्चे का तो मां ही जीवन-सहारा होती है. ये मनुष्य के साथ-साथ सभी जीवों पर समान रूप से लागू होता है. इसे मानने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि बच्चा मां के पास सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करता है. मां के पास बच्चे का सोना कई असुरक्षाओं से तो बचाता ही है बल्कि रोगों को भी दूर रखता है. (Why mom should sleep with the child?)
मां के पास बच्चे का सोना कई असुरक्षाओं से तो बचाता ही है, वहीं रोगों को भी दूर रखता है.

बच्चा जब अपने मां-बाप के पास होता है तो पूरी तरह निश्चिंत रहता है. उसे किसी प्रकार की असुरक्षा का बोध नहीं रहता है. मानसिक रूप से ये उसे सबल बनाता है. ऐसा देखा जाता है कि बच्चे थोड़ी-थोड़ी देर पर झटके से जागते हैं और फिर सोते हैं. लाजमी है ऐसा वे भय से करते हैं. और अगर उनके पास मां हो तो वे खुशनुमा रहते हैं और निचैन होकर सोते हैं.
मां से चिपककर सोने वाले बच्चे लम्बी नींद लेते हैं और इसका उनकी सेहत पर सकारात्मक असर होता है. ऐसे में उन्हें न केवल अच्छी नींद आती है बल्कि शरीर पूरी तरह स्वस्थ रहता है. बच्चों में हेल्दी बैड टाइम रूटीन डालने के लिए पेरेंट्स को बच्चे कस साथ ही सोना चाहिए. ऐसा करने से बच्चे स्वस्थ लाइफस्टाइल अपना सकेंगे और जीवन में तरक्की कर सकेंगे.
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रिसर्च के मुताबिक़ अकेले सोनेवाले बच्चे कई प्रकार की मानसिक विकृति को पाल लेते हैं जबकि अपने मां-बाप के पास सोने वाले बच्चों में आत्मसम्मान बना रहता है. मां के साथ सोने से बच्चों में व्यवहार की समस्याओं का कम अनुभव होता है, साथियों के दबाव में कम रहते हैं. ऐसे बच्चे अधिक खुश और संतुष्ट रहते हैं. बच्चों को मानसिक रूप से सबल और सक्षम बनाने के लिए साथ में सुलाना चाहिए.

रात के समय बच्चों के पास सोने से आप उसे कहानियां सूना सकते हैं, जिसके माध्यम से उसे सही-गलत समझाने के अलावे संस्कार भी दे सकते हैं. ये हमारे देश में एक परंपरा भी रही है कि बच्चों को कहानियों और लोरियों के माध्यम से नैतिक शिक्षा दी जाती रही है. जीवन की विकट परिस्थितियों में उसे वह सीख हमेशा याद रहती है. एक आदर्श और संयमित जीवन दिशा देने के लिए बच्चों के पास सोना आवश्यक होता है.
साथ में सोने से मां-बाप बच्चों से गुजरा दिन तथा आने वाले दिन के बारे में बात कर सकते हैं और उन्हें गाइड भी कर सकते हैं. ऐसे बच्चे माता-पिता के अधिक करीब होते हैं और उनसे हर बात शेयर करते हैं. साथ ही ऐसे बच्चों के गलत राह पर जाने की गुंजाइश भी कम होती है. वहीं परेशानी के वक्त उन्हें माता-पिता से त्वरित मदद भी मिल जाती है.
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धीरे-धीरे बच्चे को मां-बाप या दादा-दादी के साथ सोने की आदत पड़ जाती है. कई बार कहानियां सुनने की जिद करते हैं और फिर सोते हैं. ऐसे बच्चे होनहार प्रवृति के होते हैं और उनमें सीखने की ललक जागृत होती है. साथ ही आज के भागदौड़ के समय में जहां माता-पिता दिनभर किसी काम में व्यस्त होते हैं, रात को साथ सोने से बच्चे के पास अधिक समय बिताने को मिल जाता है.