पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के लिए खेल कूद (National Sports Day) भी बहुत जरूरी है. खेलना स्वास्थ्य के लिए तो लाभदायक है हीं इसमें बेहतर भविष्य की भी संभावनाएं हैं. हम देख भी रहे हैं कि खेल जगह में कितने सारे लोग देश का नाम रौशन कर रहे हैं.
इसके लिए जरूरी है कि बच्चों को अपने पसंदीदा खेल के प्रति बचपन से ही प्रेरित करें. हर बच्चे की किसी न किसी खेल में रूची होती है. माता-पिता अगर ध्यान रखें कि उनके बच्चे का झुकाव किस खेल (National Sports Day) की तरफ है. तो उन्हें उस क्षेत्र में आगे पढ़ने को प्रोत्साहित करें.

शुरू के दिनों से अगर बच्चे पर इस तरह की निगरानी की जाती है तो वह भविष्य में जरूर सफल होता है. आजकल के बेस्ट खिलाड़ियों को ही देख लीजिए कि उन्होंने अपने पसंदीदा खेल में लक्ष्य हासिल करने के लिए कब से तैयारी शुरू की थी.
यह तो आप जानते ही हैं कि हर बच्चा प्रतिभाशाली होता है. जरूरत है उनकी प्रतिभाओं को निखारने की. तो ध्यान रखें कि प्रतिभाएं यूं हीं नहीं निखरेंगी बल्कि उसके लिए बच्चे के साथ आपको भी परिश्रम करना होगा.
अगर आपका बच्चा किसी खेल (National Sports Day) में बेहतर है तो ऐसा नहीं कि उसे पूरे दिन बस खेलने के लिए ही छोड़ दें. ऐसी बिल्कुल नहीं होना चाहिए. बल्कि खेल के साथ-साथ उनका ध्यान पढ़ाई पर भी होना बहुत आवश्यक है. क्योंकि शिक्षा सबसे जरूरी है.
राष्ट्रीय खेल दिवस – National Sports Day
हर साल 29 अगस्त को खेल जगत में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है. इस सम्मान में राज्व गांधी खेल रत्न, ध्यानचंद पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कारों के अलावा तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार व अर्जुन पुरस्कार भी शामिल है.
29 अगस्त को ही हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती है. उन्होंने ही भारत को ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक दिलाकर भारतीय हॉकी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई थी. उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के उद्देश्य से ही 29 अगस्त को प्रति वर्ष राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day) का पालन किया जाता है.

महान खिलाड़ी के जीवन से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें:
ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद के राजपूत घराने में हुआ था. उन्हें फुटबॉल में पेले व क्रिकेट में ब्रैडमैन के बराबर माना जाता है. शुरुआती शिक्षा लेने के बाद 16 वर्ष की उम्र में वे साधारण सिपाही के तौर पर भर्ती हुए थे.
सिपाही में भर्ती होने तक उनके मन में हॉकी के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं थी. उनको हॉकी खेलने के प्रति प्रेरित करने का श्रेय रेजीमेंट के सूबेदार मेजर तिवारी को जाता है. तीन ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के बाद तीनों बीर उन्होंने भारत को स्वर्ण पदक दिलाया था.
वर्ष 1928 में एम्सटर्डम, 1932 में लॉस एंजिल्स व 1936 में बर्लिन में ये मैच हुए थे. हॉलैंड में एक मैच के दौरान उनकी हॉकी में चुंबक होने की संभावना जताई गई थी. इसकी जांच के लिए उनकी स्टिक तोड़कर देखी गई.
जबकि जापान में हुए एक मैच में उनकी स्टिक में गोंद लगे होने की बात कही गई थी. हॉकी में उनके द्वारा बनाए गए कीर्तिमान तक अब तक कोई खिलाड़ी (National Sports Day) नहीं पहुंच सका है. वर्ष 1956 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.
ध्यानचंद को अपनी गेंद नियंत्रण कला में महारत हासिल था. हॉकी खेलन की उनमें अद्भूत क्षमता थी. अपनी हॉकी स्टिक से खेल के मैदान में जैसे कोई जादू करते. तभी तो उन्हें हॉकी का जादूगर नाम दिया गया था.
उन्हें हॉकी विजार्ड का भी टाइटल दिया गया है. यह देश का तीसरा सबसे बड़ा सिविलियन अवार्ड है. राष्ट्रीय खेल दिवस मनाने का मुख्य लक्ष्य मेजर ध्यानचंद को सम्मान देते हुए लोगों को स्पोर्ट्स के प्रति जागरूक करना है. ध्यानचंद ने अपने हॉकी करियर में 400 से अधिक अंतरराष्ट्रीय गोल किया था. उन्होंने बर्लिन ओलंपिक में 11 गोल किए थे.

जर्मनी को हराने पर हिटलर ने रखा था प्रस्ताव – National Sports Day
जर्मन तानाशाह व मेजर ध्यानचंद की एक कहानी बहुत ही मशहूर है. वर्ष 1936 में जब भारत और जर्मनी बर्लिन ओलंपिक के हॉकी फाइनल मैच खेलने का रहे थे. मैदान में दर्शकों की भीड़ में हिटलर भी उपस्थित था.
मैच जीतने के लिए जर्मन टीम धक्का-मुक्की तक कर रहे थे. तभी जर्मन गोलकीपर टीटो वॉर्नहॉल्त्ज से टकराने की वजह से ध्यानचंद का दांत टूट गया था. इसके बावजूद वे तुरंत ही मैदान में लौटे व जर्मनी को 8-1 से बुरी तरह हराया था.
इनके खेल से प्रभावित होकर हिटलर ने उन्हें जर्मन नागरिकता हासिल करने का प्रस्ताव दिया था. इसके अलावा उन्हें जर्मन सेना में कर्नल बनाने व बहुत सारा धन देने का भी प्रस्ताव रखा था. हालांकि ध्यानचंद ने उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.
पढ़ाई के अलावा खेल के क्षेत्र में भी बेहतर अवसर हैं. लेकिन बच्चों को अपने पसंदीदा खेल के प्रति बचपन से ही प्रेरित करें. हर बच्चे की किसी न किसी खेल में रूची होती है. माता-पिता अगर ध्यान रखें कि उनके बच्चे का झुकाव किस खेल की तरफ है. तो उन्हें उस क्षेत्र में आगे पढ़ने को प्रोत्साहित करें. #NationalSportsDay
(योदादी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)