देश की शिक्षा व्यवस्था में कई तरह के सुधार करने के लिए केंद्र सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं. जिसके तहत पहले तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय किया गया है. साथ ही केंद्रीय मंत्रीमंडल द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति – एनईपी 2020 को भी मंजूरी दे दी गई है. उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने इस बारे में जानकारी सार्वजनिक की. उन्होंने कहा कि इस नई शिक्षा नीति के तहत स्कूल स्तर से लेकर ग्रेजुएशन तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं.

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति – National Education Policy
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति – एनईपी 2020 की सब जगह इसकी चर्चा हो रही है. आपकी सुविधा के लिए हम यहां कुछ प्रमुख बिन्दुओं की चर्चा कर इसे सहजता से पेश कर रहे हैं. ज्ञात हो, देश की शिक्षा नीति में 34 साल बाद यह बड़ा परिवर्तन किया गया है. मौजूदा शिक्षा नीति साल 1986 में तैयार की गई थी. साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में नई शिक्षा नीति का विषय शामिल था.
स्कूल स्तर पर क्या बदला है?
- वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में जो 10+2+3 सिस्टम है उसमें परिवर्तन किया गया है. इसे बदलकर 5+3+3+4 किया गया है. 5 वर्ष का फाउंडेशन एजुकेशन, 3 वर्ष प्रिपरेटरी, 3 साल मिडल एवं 4 साल सेकेंडरी लेवल पर स्कूलिंग की व्यवस्था होगी.
- अब बच्चे की उम्र 6 साल होने पर वे पहली कक्षा की पढ़ाई शुरू करेंगे. वहीं 6 -16 साल की उम्र तक 1-10वीं की पढ़ाई कराई जाएगी. जबकि 16-18 साल की उम्र में 11वीं-12वीं की पढ़ाई होगी.
- विद्यार्थियों को हर विषयों में बेसिक और स्टैंडर्ड 2 स्तरों के विकल्प दिए जाएंगे. छात्र अपनी इच्छानुसार इनमें से विकल्प चयन कर पढ़ाई कर सकेंगे.
- बच्चे कम से कम ग्रेड 5 तक और उससे आगे भी मातृभाषा/क्षेत्रिय भाषा/ स्थानीय भाषा को ही शिक्षा का माध्यम बनाने पर विशेष बल दिया गया है. स्कूली स्तर के साथ-साथ उच्च शिक्षा में संस्कृत को भी एक विकल्प के रूप में चुनने का मौका दिया जाएगा. किसी छात्र पर कोई भी भाषा थोपी नहीं जाएगी. भारत की बाकी पारंपरिक भाषाओं के साथ साहित्य भी विकल्प के तौर पर उपलब्ध होंगे.
थोड़ी सरल होंगी बोर्ड की परीक्षाएं – National Education Policy
- बोर्ड की परीक्षाएं थोड़ी सरल होंगी. जिससे कोर कंपीटेंसी की परख की जा सकेगी. ये परीक्षाएं साल में दो बार ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव पैटर्न पर होंगी. और विद्यार्थी इनमें से किसी एक का चुनाव कर सकेंगे.
- परफॉमेंस असेसमेंट, रिव्यू एंड एनालिसिस ऑफ नॉलेज फॉर होलीस्टिक डेवलपमेंट की स्थापना होगी.
- स्कूल विद्यार्थियों के लिए साल के 10 दिन बैगलेस होंगे. इन 10 दिनों में उन्हें बगैर स्कूल बैग के इनफॉर्मल इंटर्नशिप कराई जाएगी.
- विद्यार्थियों को उनके पसंदीदा विषय चुनने के लिए कई विकल्प दिए जाएंगे. कला और विज्ञान, पाठ्यक्रम और पाठ्येतर गतिविधियों एवं व्यावसायिक और शैक्षणिक विषयों के बीच कोई अंतर नहीं होगा. इस नीति में कक्षा 6 से ही व्यावसायिक शिक्षा शुरू की जाएगी और इसमें इंटर्नशिप भी शामिल होगा. व्यापक और एक नई स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा एनसीएफएसई 2020-21 को एनसीईआरटी द्वारा विकसित होगी.
- स्कूल छोड़ चुके 2 करोड़ बच्चों को फिर से मुख्य धारा में शामिल किया जाएगा. इसके लिए स्कूल के बुनियादी ढ़ांचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की भी स्थापना होगी.
- बच्चों के रिपोर्ड कार्ड के स्परूप में बदलाव करते हुए समग्र मूल्यांकन पर आधारित रिपोर्ट बनाया जाएगा.
National Education Policy – कॉलेज स्तर पर क्या बदला है?
- कॉलेजों में एडमिशन के लिए एंट्रेंस टेस्ट लिए जाएंगे. यह परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा होगी. देश के विभिन्न कॉलेजों में भर्ती के लिए एनटीए द्वारा साल में 2 बार एक कॉमन कॉमलेज एंट्रेंस परीक्षा ली जाएगी.
- अब बैचलर डिग्री 4 साल की होगी लेकिन इसमें 3 साल का भी विकल्प होगा. अगर कोई छात्र बीच में अपना कोर्स छोड़ देता है तो उन्हें भी क्रेडिट ट्रांसफर और एक ब्रेक के बाद अपनी डिग्री पूरी करने का अवसर मिलेगा.
- उच्च माध्यमिक (12वीं) के बाद कॉलेज स्तर पर 4 विकल्प होंगे. चार साल के बैचलर कोर्स में से पहला साल पूरा होने पर सर्टिफिकेट, दो साल पूरा होने पर एडवांस डिप्लोमा, वहीं तीन साल पर बैचलर डिग्री और चार साल पर रिसर्च के साथ बैचलर डिग्री कोर्स पूरा करने का अवसर मिलेगा. यानी की यहां मल्टीपल एंट्री और एग्जिट का विकल्प रहेगा.
- आने वाले 15 साल में कॉलेजों को डिग्री देने की स्वायत्ता प्रदान की जाएगी. जिसके बाद कॉलेजों को यूनिवर्सिटी से मान्यता की आवश्यकता नहीं होगी. डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा खत्म किया जाएगा.
- उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निजी संस्थानों में फीस कैप लगाने का प्रस्ताव होगा. यानी इसमें अधिकतम फीस तय की जाएगी.
वर्ल्ड की टॉप 100 विश्वविद्यालयों को आमंत्रण
- वर्ल्ड की टॉप 100 विश्वविद्यालयों में से कुछ को भारत आने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. शीर्ष भारतीय संस्थानों को वैश्विक स्तर का बनाने का प्रयास होगा.
- सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को वर्ष 2040 तक मल्टीडिसिप्लीनरी बनाया जाएगा. पाली, पर्सियन, प्राकृत के लिए विश्वविद्यालय परिसरों में ही राष्ट्रीय संस्थान स्थापित किए जाएंगे.
- मास्टर डिग्री को बाद पीएचडी से पहले एमफील कोर्स नहीं हो पाएगा.
- साल 2035 तक उच्च शिक्षा में 50 फीसद सकल नामांकन दर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.
शिक्षा पर कितना खर्च करेगी सरकार? – National Education Policy
सरकार शिक्षा (National Education Policy) पर ज्यादा खर्च करने की तैयारी में है. उच्च शिक्षा सचिव ने कहा कि कुल जीडीपी का अभी करीब 4.43 फीसद खर्च किया जा रहा है. जिसे बढ़ाकर 6 फीसदी करने का लक्ष्य रखा गया है. इस लक्ष्य को केंद्र व राज्य सरकार दोनों मिलकर हासिल करेंगे.
हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं के अलावा 8 क्षेत्रिय भाषाओं में भी ई-कोर्स होंगे. वर्चुअल लैब के कार्यक्रम को विकसित किया जाएगा और नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम भी बनाया जाएगा. नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना कर अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दिया जाएगा.
4 साल का डिग्री कोर्स
शोध में जाने वाले छात्रों के लिए 4 साल का डिग्री कार्यक्रम होगा. वहीं नौकरी में जाने वालों के लिए यह डिग्री कार्यक्रम 3 साल का ही होगा. नई नीति में एमए और डिग्री कार्यक्रम के बाद एमफील करने की छूट दी जाएगी.
अब आएगा नया सिलेबस
राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा (सिलेबस) 2005 के 15 वर्ष हो गए हैं. इसलिए अब नया पाठ्यक्रम लाया जाएगा. दूसरी तरफ शिक्षक शिक्षा पाठ्यक्रम के भी 11 वर्ष हो चुके हैं, इसलिए इसमें भी सुधार किया जाएगा.
ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा
बच्चे की जीवन कौशल परखने के लिए हर कक्षा में जोर दिया जाएगा, ताकि 12वीं पास करने के बाद बच्चे के पास पूरा पोर्टफोलियो रहेगा. साथ ही पारदर्शी और ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने पर बल दिया जाएगा.
कैसे तय होगी फीस की अधिकतम सीमा?
इस शिक्षा नीति में फीस जैसे समस्या को बहुत प्रमुखता के साथ रखा गया है. इसमें तय किया गया है कि कौन सा संस्थान किस कोर्स में कितनी फीस रख सकता है. इसके लिए एक मानक तैयार किया जाएगा. इसके अलावा यह भी तय होगा कि अधिकतम फीस कितनी होनी चाहिए. फीस पर यह कैंपिंग स्कूली और उच्च दोनों शिक्षा के लिए होगा. जो कि निजी और सरकारी दोनों संस्थानों पर लागू होगा. फीस का दायरा इसलिए तय किया जाएगा ताकि पैसा किसी बच्चे की पढ़ाई में बाधा न बन सके और हर बच्चा शिक्षित बनें.
होगा राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का विस्तार
हर विशिष्ट श्रेणियों से जुड़े छात्रों की योग्यता को प्रोत्साहित करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा. इसमें एससी, एसटी, ओबीसी समेत अन्य श्रेणी भी शामिल है. छात्रवृत्ति पाने वाले छात्रों की उन्नति को समर्थन प्रदान करना, उसे बढ़ावा देना और उनकी प्रगति को ट्रैक करने के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का विस्तार किया जाएगा. निजी शिक्षण संस्थानों को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वे बड़ी संख्या में छात्रों को मुफ्त शिक्षा और छात्रवृत्तियों की पेशकश करे.
सभी निजी संस्थानों के लिए एक नियम
किसी भी विश्वविद्यालय और कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा परीक्षा आयोजित होगी. उच्च शिक्षण संस्थान सरकारी हो या निजी सभी पर एक ही नियम लागू होगा. आने वाले 15 वर्षों में कॉलेजों को चरणबद्ध तरीके से संबंद्धता दी जाएगी.
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