मध्यप्रदेश में चिकित्सा विभाग की लापरवाही वहां की स्वास्थ्य सेवा पर सवालिया निशान खड़े कर रहा है. कुछ दिनों पहले ही वहां 6 बच्चों की असमय मौत (Nurse Fire Newborn) के कारण ही शहडोल के स्वास्थ्य विभाग ने पूरे राज्य में सुर्खियां बटोरी थी. इन 6 बच्चों के मौत की वजह का अब तक खुलासा होने से पहले फिर से एक नया मामला प्रकाश में आया है.

इस बार तो यहां नवजात बच्चे को जलाने की घटना सामने आई है. सरकारी अस्पताल में नर्स ने बच्चे को कंडे की आग से ऐसी सिकाई की कि बच्चे के गाल, माथा, हाथ व पीठ बुरी तरह झुलस गए. और नवजात (Nurse Fire Newborn) के शरीर पर फफोले निकल आए. हालत गंभीर होने पर बच्चे को आनन-फानन में जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में एडमिट किया गया.
बच्चे की हालत में पहले से सुधार है. मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी ने मामले की जांच करने का निर्देश दिया है. जबकि मामले में आरोपी नर्स ने पूरी तरह पल्ला झाड़ लिया है. नर्स का कहना है कि इस घटना में उसकी कोई गलती नहीं है. उसने बच्चे के परिजनों को सिर्फ सेकने की सलाह दी थी और उन्हीं लोगों ने बच्चे को सेका है.
नर्स के सेंकने पर झुलसा बच्चा – Nurse Fire Newborn
हुआ यूं कि गत 16 जनवरी को खन्नौधी प्राथिमक स्वास्थ्य केंद्र में पार्वती बैगा ने बच्चे को जन्म दिया था. पार्वती के पति का कहना है कि डिलीवरी नर्मल हुई थी लेकिन बच्चा जन्म लेने के बाद से रो नहीं रहा था. जिसके बाद नर्स ममला गोस्वामी (Nurse Fire Newborn) ने बच्चे को सेंकने की सलाह दी थी.
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उस वक्त स्वास्थ्य केंद्र में बिजली नहीं थी. 16 जनवरी की सुबह से ही अस्पताल में बिजली नहीं थी जिसकी वजह से बच्चे (Nurse Fire Newborn) को मशीन से सेंकना संभव नहीं हो पाया. और फिर उसे सेंकने के लिए कंडे की आग की व्यवस्था की गई. उन्होंने कहा कि दोपहर करीब 2.16 बजे पर्वती ने बेटे को जन्म दिया था. लेकिन वो रो नहीं रहा था.

एसएनसीयू में एडमिट है नवजात – Nurse Fire Newborn
जन्म के 15 मिनट बाद ही उस नर्स ने हाथ में रबर के ग्लव्स पहन कर नवजात को सेंकना शुरू किया. इसके तीन मीनट बाद ही बच्चा तेज रोना शुरू किया. धीरे-धीरे बच्चे (Nurse Fire Newborn) की रोने की आवाज तेज होती गई और तीन घंटे के अंदर उसके शरीर के विभिन्न अंगों में फफोले निकलने लगे. इसे देखते ही परिजनों को बाजार से कुछ दवा लेने को कहा गया.
लेकिन उस दवा से भी कोई सुधार नहीं आया और नवजात की हालत और गंभीर होती गई. स्थिति बिगड़ती देख उसे 17 जनवरी की रात 11 बजे जिला अस्पताल शहडोल में स्थानांतरित किया गया. वहां बच्चे को एसएनसीयू में एडमिट किया गया. इलाज के बाद उसकी हालत में पहले से सुधार आया है. मामले में जांच के निर्देश दिए गए हैं. #Newborn
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