बचपन जिंदगी का सबसे कीमती समय होता है. समय रहते इसके महत्व को समझना बेहद जरूरी है. वैसे तो हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे की परवरिश (Parenting advice) अच्छी हो. वह आगे चलकर भविष्य में कुछ करे, नाम कमाए. पर सिर्फ सोचने मात्र से आपकी ड्यूटी पूरी नहीं होगी.
इसके लिए सही परवरिश की जरूरत है. बालकों के रूप में ही जीवन की महत्वाकांक्षाएं आती है. आज का बच्चा ही भविष्य में नाम कमाता है. इसके लिए पर्याप्त देखभाल के साथ-साथ बच्चे पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. अच्छी परवरिश की परिभाषा यही है कि माता-पिता बच्चे के पालन-पोषण के साथ उसे अच्छे संस्कार भी दें.

बच्चों की देखभाल को आसान बनाने के कुछ टिप्स यहां देखें:
बच्चे की दिनचर्या में कई अहम बातों पर ध्यान रखते हुए बच्चे की परवरिश उन्नत हो सकती है. सही परवरिश (Parenting advice) पर ही बच्चे का भविष्य निर्भर करता है. बचपन में सिखी हुई चीजें उसे हमेशा याद रहती है. धीरे-धीरे वह इसका अनुसरण करने के लिए बाध्य भी हो जाता है. शिशु का पालन पोषण करना बहुत संवेदनशी विषय है. इसमें थोड़ी सी भी कोताही बरतना खतरनाक हो सकता है.
इसमें सेहत से जुड़े विषय को कभी हल्के में ना लें. बच्चों को कई तरह के रोगों के टीके लगाए जाते हैं. इसमें लापरवाही बिल्कुल ठीक नहीं है. पर हां बिना डाक्टर की सलाह के आप बच्चे को कोई टीका ना लगवाएं. कई बार ऐसा देखा जाता है कि छोटी-छोटी बीमारियों में माता-पिता एक बच्चे की दवा दूसरे को खिला देते हैं. जबकि यह पूरी तरह गलत है और खतरनाक भी.
स्वास्थ्य को हल्के में ना लें:
इसमें सेहत से जुड़े विषय को कभी हल्के में ना लें. बच्चों को कई तरह के रोगों के टीके लगाए जाते हैं. इसमें लापरवाही बिल्कुल ठीक नहीं है. पर हां बिना डाक्टर की सलाह के आप बच्चे को कोई टीका ना लगवाएं. कई बार ऐसा देखा जाता है कि छोटी-छोटी बीमारियों में माता-पिता एक बच्चे की दवा दूसरे को खिला देते हैं. जबकि यह पूरी तरह गलत है और खतरनाक भी.
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पालन-पोषण में स्वस्थ आहार काफी मायने रखती है. पर इसका मतलब यह नहीं कि खाने के लिए पूरे दिन बच्चे के पीछे पड़े रहें. उसे भूख से अधिक खाने के लिए कभी दबाव ना बनाएं. स्वास्थ्य वृद्धि के लिए उसके शरीर में जिस विटामिन की कमी हो उसे अवश्य दें. उसके बर्तन को हमेशा साफ रखें.
इसका भी रखें ख्याल:
उसके दूध की बोतल को गर्म पानी से धोएं. बोतल धोने के बाद उसके ढ़क्कन को खोलकर रखें. स्वस्थ शरीर के लिए साफ-साफ बेहद जरूरी है. इसलिए बच्चे को रोजाना स्नान कराएं. इससे उसमें बचपन से ही नहाने की आदत लगेगी. ताकि बड़ा होकर भी वह सफाई के महत्व को समझे.
बच्चे ज्यादातर जमीन पर ही खेलना पसंद करते हैं. खेलते वक्त या ऐसे भी किसी करणवश उनके कपड़े जैसे ही गंदे हो उसे तुरंत बदल दें. इनका शरीर बहुत नाजुक होता है. नाजुक त्वचा संवेदनशील होता है. इसलिए उन्हें मौसम के अनुसार कपड़े पहनाना सही रहता है. बच्चे के लिए किसी काम को करते वक्त सावधानी बरतना जरूरी होता है.
अब बात आती है उसके सोने की तो, ध्यान रखें सोते वक्त उसके कान के पास तेज आवाज बिल्कुल ना हो. बच्चे को प्यार करते वक्त उसे उपर की उछालना भी एक आम बात है. जबकि उपर उछालने या, इधर-उधर घुमाने से उसके मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

हर गतिविधि पर रखें निगरानी:
बच्चे की किसी बीमारी को हल्के में ना लें. आपको जैसे ही बच्चे की तबीयत खराब होने की अनुभूति हो तो तुरंत समय नष्ट किए बगैर चिकित्सक की सलाह लें. इनकी किसी गतिविधि को अनदेखी करना खतरनाक हो सकता है. वैसे बच्चों में सर्दी, खांसी, बुखार आदि बीमारियां आम है. इसमें डॉक्टरी परामर्श के साथ बच्चे को हल्का आहार देना ना भूलें.
बच्चे हो या बड़े बीमार पड़ने पर खाना खाने का मन नहीं करता. पर बीमार रहने के दौरान आहार नहीं लेने पर इंसान कमजोर हो जाता है. बच्चे की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है. बच्चे के व्यवहार वाली चीजों जैसे तेल, साबुन, तौलिया, पाउडर आदि को घर के बड़ों से दूर रखें. बच्चे की चीजों को अगर बड़े भी इस्तेमाल करते हैं तो बच्चे में इंफेक्शन की संभावना रहती है.
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घर के माहौल का भी बच्चे के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है. बच्चा जब थोड़ा समझदार हो जाए. यानी जब वह अच्छी बुरी बातों को समझने लगे तो उसके सामने कुछ भी बोलते वक्त एक बार सोचें. बच्चा का दिमाग बहुत शार्प होता है. कोई भी बात उसके दिमाग में जल्दी घर कर जाती है. यानी उसे वह लंबे समय तक याद रहता है. इसलिए बच्चे के सामने कभी भी अपशब्द का व्यवहार ना करें. उसके साथ या परिवार के किसी अन्य सदस्य के साथ भी अपशब्द ना बोलें.
जिम्मेवारियों को समझें:
स्कूल की शुरुआत करना भी उसके लिए नया अनुभव होता है. माता-पिता होने के नाते मात्र स्कूल में भर्ती करके ही अपनी जिम्मेवारियों (Parenting advice) से मुक्त होना ठीक नहीं है. उनके पढ़ाई के प्रति आपको भी चौकस रहना होगा. स्कूल से लौटने पर उसके होमवर्क की स्वयं जांच करें.
उसके बारे में पूछें कि कहां, क्या समझ नहीं आया. बच्चे को कहीं तकलीफ होने पर उसे होमवर्क पूरा करने में सहायता करें. स्कूल की पैरेंटस टीचर मीटिंग को हमेशा गंभीरता से लें. इससे शिक्षक बच्चे पर विशेष ध्यान देते हैं. इसलिए पढ़ाई के प्रति सजग रहना भी जरूरी ड्यूटी है.

मनोरंजन भी जरूरी:
बच्चों को समय-समय पर खाने व पढ़ाई की जरूरतों को अवश्य पूरा करें. इन सबके अलावा मनोरंजन भी जरूरी है. छुट्टी वाले दिन उन्हें कहीं घूमने लेकर जाएं. लंबी छुट्टी मिले तो कहीं मनमोहक स्थान पर ले जाएं. जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन बहुत जरूरी है. परीक्षा में सफलता प्राप्त करने पर उसे प्रोत्साहन देना ना भूलें. लक्ष्य प्राप्ति में भी माता-पिता की सहायता जरूरी होती है. आपके बिना लक्ष्य प्राप्ति की राह कठिन हो जाती है. आपके सही सुझाव (Parenting advice) पर उसके एक बेहतर नागरिक बनने की राह आसान हो जाएगी.
बच्चे की परवरिश (Parenting advice) की राह आसान करके के लिए हमने आपके साथ अपने विचार साझा किये हैं. कौन नहीं चाहता कि उनके बच्चे का भविष्य उज्ज्वल हो. क्या आप नहीं चाहते? जरूर चाहते होंगे? क्या आप हमारे इस विचार से सहमत हैं? बेहतर भविष्य ऐसे नहीं होता बल्कि इसके लिए अच्छी परवरिश की जरूरत पड़ती है. अगर आप यहां सुझाए गए विचारों का अनुसरण करते हैं तो निश्चित ही आपको काफी सहायता मिलेगी. आप अपने अनुभव को ‘योदादी’ के साथ कमेंट कर जरूर साझा करें.