परवरिश बहुत मुश्किल और जिम्मेदारी भरा काम है. इसमें बच्चे के जन्म से लेकर पढ़ाई-लिखाई व नौकरी तमाम चीजें शामिल हैं. यह आजीवन चलने वाली ड्यूटी है. बच्चे के जन्म के पहले से ही माता-पिता के लिए चिंता शुरू हो जाती है. जब बात पढ़ाई पर आती है तो हर अभिभावक इसके लिए परेशान होते हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण है, बच्चे का नए स्कूल में एडमिशन कराना. सही स्कूल का चयन करने के अलावा सही सब्जेक्ट (Right Subject) का चयन. फिर सही करियर का चयन भी अहम जिम्मेवारी है. हर अभिभावक यही चाहते हैं कि उनका बच्चा अच्छे स्कूल में पढ़ाई करे. ऐसे कोर्स का चयन करें जिसमें उनका करियर बेहतर हो.

आपको भी अगर बच्चे की पढ़ाई व करियर को लेकर को परेशानी है तो आपको कुछ जरूरी बातें बताते हैं जिससे आपको इस समस्या के निदान में मदद मिल सकेः
1. स्कूल चयन में जरूरी बातें (Important things in school selection) :
- सबसे पहले घर से स्कूल की दूरी देखना जरूरी है. खासकर जब बच्चा छोटा हो तो यह ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है.
- स्कूल के बारे जानकारी हासिल करें कि इसकी कितनी डिमांड है.
- पढ़ाई के तरीकों के बारे में भी जानकारी हासिल करना बिल्कुल ध्यान में रखें.
- इंटरनेट के माध्यम से या कोई परिचित या रिश्तेदारों से भी स्कूल के बारे में डिटेल्स जान लें.
- वर्तमान परिस्थितियों व समय की मांग के अनुसार बच्चे के लिए अंग्रेजी माध्यम स्कूल का चयन करना बेहतर है.
- अगर आप अन्य माध्यम में भी एडमिशन को इच्छुक हैं तो भी अंग्रेजी विषय पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है.

- पढ़ाई (Right Subject) के साथ-साथ पाठ्य सहगामी क्रियाएं भी महत्वपूर्ण है. यानी एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटीज से बच्चे के अंदर छिपी प्रतिभा को जानने व उसे निखारने का अवसर मिलेगा.
2. सही विषय का चयन ऐसे करें (Select the right topic to):
विषय (Right Subject) का चयन करते समय बच्चे की रुचि का भी ख्याल रखन चाहिए. विषय कोई भी अच्छा या बुरा नहीं होता. विद्यार्थी की रूचि जिस विषय में होती है वही विषय उसके लिए अच्छा होता है. रुचि नहीं हो तो वहीं विषय खराब. इसके फायदे यह हैं कि विषय को पढ़ाने के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती. बच्चा खुद ही उस विषय को मजे के साथ पढ़ता है. पर जब अभिभावक अपनी पसंद के विषय को पढ़ने के लिए दबाव बनाते हैं तभी समस्या होती है.
बच्चे का पसंदीदा विषय (Right Subject) नहीं होने की वजह से उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता. जब पढ़ाई में रुचि नहीं रहती तो फिर वह सफल नहीं हो पाता. सभी बच्चे की तरह आपके बच्चे में भी एक नैसर्गिक प्रतिभा छिपी होता है. वही प्रतिभा छात्र को बचपन से उस क्षेत्र में प्रेरित करती है. बचपन से अगर इस ओर ध्यान दिया जाए तो आप उसकी प्रतिभा को पहचान कर उसे ही बच्चे का करियर ऑपशन बना सकते हैं. इसलिए ध्यान रखें कि बच्चे पर ज्यादा दबाव न डाला जाए.

3. करियर के विकल्प (Career options):
हर अभिभावक की ड्यूटी है कि वह बच्चे के सुनहरे भविष्य के प्रति स्वयं को सदैव जागरूक रखे. बच्चे के करियर के विभिन्न विकल्पों की जानकारी रखें. स्कूली रिजल्ट को देखते हुए बच्चे को सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें. बच्चा अगर थोड़ा बड़ा हो तो उसे करियर की भी समझ होती है. आप उसी से मन की बात जानें कि उसे क्या पसंद है? वह भविष्य में क्या बनना चाहता है? बच्चा जिस क्षेत्र में अपनी रुचि दिखाता है उसी क्षेत्र में उसे प्रेरित करें. कभी-कभी ऐसा भी देखा जाता है कि बच्चा एक नहीं बल्कि 2-3 विषयों में अपनी रुचि दिखाता है. ऐसे में उसे यह समझाना जरूरी है कि उसे जो सबसे ज्यादा पसंद है, यानी जो उसके लिए सही विषय (Right Subject) है उसमें अपना करियर बनाए. बाकी जो बचे हैं उसे शौक के आधार पर सीखता रहे.
4. करियर को लेकर दुविधा (Dilemma about career):
करियर का चयन करना अभिभावक के साथ-साथ बच्चे के लिए भी दुविधापूर्ण होता है. बच्चे की रुचियों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है. सही फैसला नहीं लेने की वजह से ही वे किसी एक प्रोफेशनल कोर्स में संतुष्ट नहीं रहते. एक के बाद एक वे कई कोर्स परिवर्तन करते हैं. जिससे आपके लिए भी चिंता बढ़ जाती है. इसलिए दुविधा की स्थिति में किसी करियर काउंसलर की मदद लेना सही होता है.

बच्चे की परवरिश में सबसे महत्वपूर्ण विषय शिक्षा है. शिक्षा ही उनके करियर का आधार है. सही करियर चयन के लिए इसके संबंधित सही जानकारी का होना भी जरूरी है. ऊपर बताए गए सुझावों को अगर आप फॉलो करते हैं तो आपको इस मामले में जरूर आसानी होगी. अब हमें यह बताएं कि क्या आप हमारे द्वारा सुझाए गए विचारों से सहमत हैं. ‘योदादी’ के साथ अपने अनुभव को कमेंट कर जरूर शेयर करें. #हैप्पीपैरेंटिंग