पहले ब्लू व्हेल और मोमो चैलेंज. अब पबजी (PUBG) गेम का क्रेज टीनएजर्स और युवाओं के बीच काफी पॉपुलर हो रहा है. प्लेयर अननोन बैटलग्राउंड (पबजी) अभी दुनिया का सबसे प्रसिद्ध ऑनलाइन मल्टीप्लेयर गेम है. पबजी गेम खेलने वाला व्यक्ति मानों उसकी गिरफ्त में आ जाता है. यह गेम लोगों को मानसिक रूप से इतनी जल्दी प्रभावित करता है कि इंसान इसका एडिक्ट हो जाता है.
पबजी की लत (Game Addiction) के शिकार लोगों के व्यवहार में धीरे-धीरे परिवर्तन आना शुरू हो जाता है. यह परिवर्तन कोई सामान्य परिवर्तन नहीं बल्कि व्यक्ति मानसिक तौर पर बीमार होने लगता है. इस गेम में अपनी ओर आकर्षित करने की अपार क्षमता है. इसे खेलने वाला इंसान खाना-पीना से लेकर सोना तक भूल जाते हैं. दिन तो दिन, रातों को जगकर भी बच्चे इसे खेलते रहते हैं. 13-35 वर्ष के युवा दक्षिण कोरिया की कंपनी ब्लूहोल के इस गेम के दीवाने हो चुके हैं.

पीयूबीजी गेम दुनियाभर के कई प्लेयर्स के साथ खेला जाता है. सभी के टाइम जोन अलग-अलग होते हैं. जिस कारण इंडिया में इस गेम को खेलने वाले अधिकतर लोग रात को 3-4 बजे तक जगकर भी यह गेम खेलते रहते हैं. जिसका परिणाम उन्हें सिर्फ नींद ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं शुरू होती है. बच्चों में इस गेम की लत (Game addiction) अभिभावकों के लिए चिंता का मुख्य कारण बनी हुई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखी समस्या
यहां तक की हाल ही में आयोजित परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में एक मां ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने यह समस्या रखी. उन्होंने कहा था कि ऑनलाइन गेम उनके मेधावी बच्चे का पढ़ाई से मन भटका रहा है. हालांकि प्रधानमंत्री ने उनकी इस समस्या का बड़ा सुंदर जवाब दिया था. उन्होंने कहा कि तकनीक का व्यवहार कैसे करना है इस पर ध्यान देने की जरूरत है. माता-पिता थोड़ी रूचि लेकर खाना खाते वक्त बच्चे के साथ तकनीक पर चर्चा करें तो बेहतर होगा. तकनीक समस्या भी है और समाधान भी. हम अगर चाहें कि हमारे बच्चे तकनीक से दूर चले जाएं, तो यह एक तरह से जिंदगी को पीछे धकेलने जैसा होगा. इसलिए बच्चे को तकनीक के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. हमें ही सोचना होगा कि तकनीक का कैसे सही उपयोग करना है.
यह ध्यान रखना जरूरी है कि बच्चा तकनीक का इस्तेमाल कैसे कर रहा है? तकनीक कहीं उसे रोबोट तो नहीं बना रहा? अगर आप बच्चे से पूछें कि ये ऐप्स क्या है? कैसे काम करता है? तो बच्चे को भी लगेगा कि उसके माता-पिता उसकी मदद करेंगे.

हम आपको बताते हैं पबजी की लत से किस तरह की शारीरिक व मानसिक बीमारियां हो सकती हैं:
1. नींद की समस्या होना : पीयूबीजी गेम का क्रेज ऐसा है कि आप इसे लगातार कई घंटे तक खेलते रहते हैं. जिस कारण नींद संबंधी समस्याएं उत्पन्न होने लगती है. यहां तक की लोग रात को जग कर भी इस गेम को खेलना शुरू कर देते हैं. जिसके उनकी नींद प्रभावित होती है.
2. एकाग्रता में कमी : हर वक्त अगर आपका दिमाग किसी गेम पर ही लगा रहे तो अन्य कामों से मन भटकना आम बात है. छात्रों को पढ़ाई में, नौकरीपेशा व्यक्ति को ऑफिस के काम में और अगर आप हाउस वाइफ हैं तो घर के काम में आपका मन बिल्कुल नहीं लगेगा. इस गेम का बुरा प्रभाव अपके रोजाना के कार्यों में भी देखने को मिलेगा.
3. परिवार व असल जिंदगी से बढ़ती दूरियां : अगर आप लगातार तकनीक के संपर्क में रहेंगे तो परिवार व असल जिंदगी से आपकी दूरियां बढ़ने लगेंगी. किसी समारोह में शामिल होने के बावजूद आपका ध्यान मोबाइल में लगा रहता है. कार्यक्रम में शामिल अन्य लोगों के साथ आपका कोई मतलब नहीं रहता.
4. चिड़चिड़ापन होना : पीयूबीजी गेम के शिकार (Game addiction) लोग चिड़चिड़े हो जाते हैं. गेम खेलते वक्त अगर हाथ से मोबाइल ले लिया जाए तो वे विचलित होने लगते हैं.
पढ़ाई में होती है बड़ी बाधा
5. पढ़ाई से बढ़ती दूरियाः इस गेम की लत (Game addiction) के शिकार बच्चे का मन पढ़ाई से भागने लगता है. यानी उसका स्कूल या कॉलेज जाने का मन ही नहीं करता. हर वक्त वे इस गेम की धून में ही समाए रहते हैं.
6. बेवजह गुस्सा आनाः इस गेम लोगों पर नकारात्मक प्रभाव डालने में पूरी तरह सक्षम है. हिंसात्मक प्रवृति के इस गेम के शिकार लोगों को बेवजह हर बात पर गुस्सा आता है.
7. ब्लड प्रेशर व डायबीटीज का खतराः रात को जगकर गेम खेलने की वजह से पहले तो आपको नींद नहीं आने की समस्या शुरू होती है. फिर पर्याप्त नींद नहीं लेने की वजह से ब्लड प्रेशर व डायबीटीज जैसी बीमारियों का खतरा भी बना रहता है.

बरतें सावधानीः
1. जरूरी है अपने रोजमर्रा के काम-काज के साथ-साथ सोने के लिए भी समय निर्धारित करें. निर्धारित समय का गंभीरता से पालन भी करें.
2. लोगों के साथ अधिक से अधिक मेल-जोल बढ़ाएं.
3. एकाग्रता बढ़ाने के लिए व्यस्तता के बीच कुछ समय का ब्रेक लेते रहें. कोशिश करें कि इस ब्रेक में फोन का इस्तेमाल कम से कम करें.
4. अगर तमाम कोशिशों के बावजूद आप इससे दूरी नहीं बना पा रहे हों तो जल्द से जल्द किसी मनोचिकित्सक की मदद लें.
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क्या है पीयूबीजी गेम?
ऑनलाइन गेम पीयूबीजी में प्लेयर अनजान लड़ाई के मैदान में अनजाने वॉर जोन में अनजाने दुश्मनों को मारने की कवायद करता है. इससे खेलने वाले में उत्तेजना आती है लेकिन साथ ही यह बहुत कुछ छीन भी रहा है. पीयूबीजी ऐक्शन, शानदार ग्राफिक्स और खिलाड़ी को वॉरियर की फीलिंग देता और यही वजह है कि इसका क्रेज युवाओं में चरम पर है. गेम का थीम है कि इसमें बचाव के लिए अंधाधुंध गोलियां चलानी पड़ती है. इस गेम को अकेले या 2-4 प्लेयर्स की टीम के साथ भी खेला जा सकता है. हिंसात्मक प्रवृति के इस गेम का असर लोगों के व्यवहार में दिखने लगता है.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस में 120 से ज्यादा ऐसे मामले आए हैं. जिसमें इस गेम का बच्चों के दिमाग पर बुरा प्रभाव देखा गया है. 6 वर्ष के बच्चे से लेकर 30-32 साल के युवा भी इस गेम की लत के शिकार हैं.
क्वार्ट्ज ग्लोबल एक्जिक्यूटिव स्टडी के अनुसार यह इंडिया का नंबर 1 गेम बन चुका है. गूगल की तरफ से भी पीयूबीजी को बेस्ट गेम ऑफ 2018 से नवाजा गया है. क्वार्ट्ज के सर्वे के आधार पर यूजर इस गेम को दिन में 8 घंटे तक दे रहे हैं. डब्ल्यूएचओ ने भी गेम खेलने की लत को मानसिक रोग की श्रेणी में शामिल किया है.
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बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेस में गेमिंग की लत
(Game addiction) छुड़वाने वाली शट क्लीनिक के डॉक्टर मनोज के मुताबिक ऐसे मरीजों की संख्या में रोजाना वृद्धि हो रही है. मोबाइल गेमिंग की लत युवाओं पर बुरी तरह हावी है. इस क्लीनिक में प्रति हफ्ते 3-4 नए मरीज पीयूबीजी गेम की लत छुड़वाने आते हैं. मरीज पीयूबीजी के अलावा डोटा-1, डोटा-2, फोर्टनाइट, काउंटर स्ट्राइक जैसे खेलों की भी गिरफ्त में आ रहे हैं. थोड़ी देर के लिए रोमांच देने वाले ये मोबाइल गेम्स आपकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रही है. पीयूबीजी गेम युवाओं के व्यक्तित्व को बुरी तरह प्रभावित करता है.
यहां हमने टीनएजर्स व युवाओं में सबसे लोकप्रिय गेम पीयूबीजी के बारे में बताया कि यह कितना घातक है. पर सावधानी हर समस्या का समाधान है. आप भी अगर सावधान रहते हुए तकनीक का व्यवहार करते है तो फिर यह आपके लिए बिल्कुल नुकसानदेह नहीं होगा. ‘योदादी’ के साथ अपने अनुभव को कमेंट कर जरूर शेयर करें. #हैप्पीपैरेंटिंग #मेंटलहेल्थ