स्वाइन फ्लू का बढ़ता कहर लोगों को बड़ी तेजी से अपना शिकार बना रही है. यह सुअरों से फैलने वाली एक संक्रामक बीमारी है. स्वाइन फ्लू (swine flu) सुअरों के बुखार को कहते हैं. स्वाइन इंफ्लुएंजा को स्वाइन फ्लू के नाम से भी जाना जाता है. यह इंफ्लुएंजा वायरस से होता है. यह वायरस सूअरों के श्वसन तंत्र से ही निकलता है. इस वायरस में परिवर्तन की तीव्र क्षमता के कारण यह लोगों के शरीर में आसानी से फैल जाता है. इसके वायरस चार तरह के होते हैं. H1N1, H1N2, H3N2 और H3N1। इनमें सबसे खतरनाक H1N1 है. यही वायरस लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. यही वायरस कफ या छींक के माध्यम से लगभग 5 दिनों तक जबकि बच्चों में 7 दिनों तक संक्रमण फैलाता रहता है.

इसके लक्षण भी आम फ्लू के समान ही होते हैं. सामान्यतः यह संक्रमण (Infection) बगैर किसी खास उपचार के एक हफ्ते के अंदर ठीक हो जाता है. यह अवधि दो से पांच या फिर सात दिनों तक की भी हो सकती है. स्वाइन फ्लू (swine flu) से पीड़ित मरीज में जैसे-जैसे लक्षण बढ़ते हैं, उसी वक्त उससे सबसे अधिक संक्रमण फैलता है. लक्षण घटने पर संक्रमण का खतरा भी कम होता जाता है. लक्षण पूरी तरह समाप्त होने पर यह दूसरों को संक्रमित नहीं कर सकता. वहीं मामला गंभीर होने पर शरीर के अंग काम करना बंद कर सकते हैं. जिस कारण इंसान की मौत की भी संभावना रहती है.
इस संक्रामक बीमारी के लक्षणों को जानना बहुत जरूरी है. ताकि आप समय रहते इसका उपचार करा सकेः

1. स्वाइन फ्लू (swine flu) के लक्षण:
- गले में खराश का होना.
- सर्दी, खांसी व बुखार.
- नाक बंद होना.
- सिर व शरीर दर्द व पेट दर्द.
- थकान व ठंड लगना.
- दस्त व उल्टी होना.
- सुस्ती.
- भूख न लगना.

2. स्वाइन फ्लू (swine flu) से बचाव:
- कोशिश करें कि खांसी, जुकाम व बुखार के रोगी से दूर ही रहें.
- शरीर के किसी अंगर जैसे नाक, कान, आंख आदि छूने के बाद अन्य वस्तुओं को न छुएं. बल्कि हाथ को अच्छे से धोने के बाद ही कुछ भी छूना ठीक रहेगा.
- छींकने व खांसते वक्त मुंह पर कपड़ा जरूर रखें.
- तनाव में रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में किसी बीमारी के संक्रमण की संभावना काफी बढ़ जाती है. बेहतर होगा कि तनावमुक्त रहिए.
- सर्दी या बुखार होने पर बाहर जाने की बजाय घर पर ही रहे. ऐसे में घर पर आराम करना बेहतर उपाय है.
- शर्करायुक्त व स्टार्च युक्त भोजन का सेवन कम करें. अगर आप इनका अधिक सेवन करके हैं तो शरीर में विभिन्न बीमारियों से लड़ने वाली कोशिकाओं की सक्रियता धीरे-धीरे कम होने लगती है.
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- दही का सेवन ना करके आप छाछ का सेवन कर सकते हैं.
- पानी को खूब उबालकर पीना व पोषक भोजन व फलों का उपयोग करना भी ठीक रहेगा.
- जिन्हें लहसुन ज्यादा पसंद हो उन्हें रोजाना कम से कम दो कलियां कच्चा चबाना चाहिए. लहसुन में इम्यूनिटी बढ़ाने की क्षमता ज्यादा होती है.
कमजोर व्यक्ति, बच्चे, गर्भवती महिलाएं व वृद्धों में इस रोग के होने की अधिक संभावनाएं रहती है.
- रोजाना रात को गुनगुना दूध में थोड़ी हल्दी डालकर लिया जा सकता है.
- स्वाइन फ्लू के संक्रमण (Infection) से बचाव के लिए आप हर दिन 3-5 नीम की पत्तियां चबाना सकते हैं. नीम खून साफ करने में लाभदायक होता है.
- आंवला के जूस का सेवन करें क्योंकि यह विटामिन सी से भरपूर होता है.
- फेफड़ों को स्वस्थ बनाए रखने में प्राणायाम बहुत फायदेमंद होता है.

3. स्वाइन फ्लू (swine flu) का उपचार:
- अगर आप स्वाइन फ्लू (swine flu) से पीड़ित हैं तो काढ़ा बनाकर पीना फायदेमंद होगा. डेढ़ कप पानी में एक चम्मच हल्दी पाउडर तीन काली मिर्च, दो तुलसी पत्ते, अदरक, हल्का सा जीरा व चीनी को डालकर उबार लें. पानी जब खूब उबलने के के बाद करीब एक कप बच जाए तो उसमें आधा नींबू निचोड़ दें. इसके बाद काढ़ा पूरा ठंडा ना होने दें. बल्कि इसे गुनगुना रहते हुए ही सेवन करें. ऐसा आप एक दिन में 3-4 बार बनाकर ले सकते हैं.
- तील का तेल इसमें काफी कारगर सिद्ध होता है. इसलिए दिन में करीब 3 बार नाक में 2-2 बूंद तील का तेल डालें.
- रोजाना 2-3 तुलसी पत्ता का सेवन जरूर करें. चिकित्सीय गुण में तुलसी सबसे अव्वल है. यह गला और फेफड़े को साफ रखती है. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर शरीर को संक्रमण (Infection) से बचाती है.
- लौंग, इलायची व कपूर को मिश्रण को एक रूमाल में बांधकर रख लें. उसे अपने पास ही रखें व सुंघते रहें. इसको सुंघने से संक्रमण (Infection) का खतरा काफी कम हो जाता है.
- अमृतधारा की 1-2 बूंद कपड़े या रूई पर लगा कर रख लें. इसे बार-बार सूंघत रहना भी स्वाइन फ्लू से बचाव करता है.
- गिलोय का काढ़ा बनाकर या इसके रस का सेवन रोजाना करें.
- व्यस्कों के लिए 20 मिली जबकि बच्चों के लिए यह मात्रा कम होगी.
- इन सबके अलावा स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लें.
स्वाइन फ्लू के देशभर में करीब 6701 मामले सामने आए हैं. जबकि 226 लोगों की मौत भी हो चुकी है. कुछ सतर्कता को अपनाकर आप इस संक्रामक (Infection) बीमारी से बच सकते हैं. हमने यहां इससे बचाव के कुछ उपाय सुझाए हैं. जिसको आप फॉलो कर सकते हैं. ‘योदादी’ के साथ अपने अनुभव को कमेंट कर जरूर शेयर करें. #हेल्थकेयर