कैंसर जैसी घातक बीमारी पर हुए नए शोध को मेडिकल जगत में बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है. इस शोध से लोगों में नई उम्मीद जगी है कि अब इस बीमारी से मरने वालों की संख्या में कमी आएगी. वैज्ञानिकों ने एक ऐसा वायरस खोज निकालने का दावा किया है, जो हर तरह के कैंसर का खात्मा (Cancer Treatment) करने में सक्षम है. वायरस को वैक्सीनिया सीएफ-33 नाम दिया गया है.

वर्तमान की बात करें तो अभी पूरी दुनिया में 100 से भी ज्यादा किस्म के कैंसर हैं. इनमें से किसी भी कैंसर (Cancer Treatment) का पता अगर तीसरे व चौथे स्टेज में चला तो उसके इलाज की संभावना लगभग बहुत कम हो जाती है. पूरे विश्व के साथ भारत में भी कैंसर की बीमारी बड़ी तेज गति से फैल रही है.
कैंसर से भारत में प्रति वर्ष करीब 8 लाख लोगों की मौत होती है. जबकि अभी 2.25 मिलियन लोग कैंसर से जूझ रहे हैं. वहीं जर्नल ऑफ ग्लोबल ऑन्कालजी में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत में कैंसर के मरीजों का आंकड़ा 2040 तक दोगुना हो जाएगा.
हर किस्म के कैंसर का इलाज – Cancer Treatment
ऐसे में वैज्ञानिकों ने एक ऐसे वायरस की खोजा की है जो हर तरह के कैंसर को खत्म कर सकता है. इस नए वायरस (Cancer Treatment) का पता चलने के बाद से वैज्ञानिकों के अंदर भी एक उम्मीद जगी है, कि कैंसर को बहुत जल्द जड़ से खत्म किया जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक वैक्सीनिया सीएफ-33 एक ऐसा वायरस है.
जो शरीर में सर्दी-जुकाम का कारण बनता है. लेकिन इसे कैंसर सेल्स के साथ इन्फ्यूज कराने के बाद वैज्ञानिक हैरान थे. टेस्ट के दौरान इस वायरस ने पेट्री डिश में सभी प्रकार के कैंसर को खत्म कर दिया. फिर चूहों पर इसे टेस्ट करने के बाद भी वैज्ञानिकों ने पाया कि इस वायरस ने ट्यूमर को सिकुड़ कर बहुत ही छोटा कर दिया है.
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टेस्ट में सारा कुछ ठीक रहने पर इसे अगले वर्ष दवा के रूप में ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों पर टेस्ट किया जाएगा. इस वायरस को ऑस्ट्रेलियन बायोटेक कंपनी इम्यूजीन ने बनाया है. इसे बनाने का श्रेय यूएस के वैज्ञानिक और कैंसर स्पेशलिस्ट प्रोफेसर युमान फॉन्ग को जाता है.
चूहों पर किया गया ट्रायल – Cancer Treatment
प्रोफेसर फॉन्ग बताते हैं कि काउपॉक्स नामक एक वायरस का इस्तेमाल पिछले 200 वर्षों से छोटीमाता को ठीक करने के लिए किया जा रहा है. इसका इंसानों के शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता. इस वायरस को अन्य वायरसों (Cancer Treatment) के साथ मिलाकर चूहों के ट्यूमर पर इसका ट्रायल किया गया है.

जिसमें देखा गया कि चूहों के शरीर में मौजूद कैंसर (Cancer Treatment) सेल्स सिकुड़कर काफी छोटे हो गए थे और उस सेल्स का बढ़ना भी बंद हो गया था. प्रोफेसर फॉन्ग ऑस्ट्रेलिया में ही इस वायरस के क्लिनिकल ट्रायल की तैयारी कर रहे हैं.
फिर बाद में इसे अन्य देशों में ट्रायल करने की योजना है. इस ट्रायल के दौरान ट्रिपल निगेटिव ब्रेस्ट कैंसर, मेलानोमा, फेफड़ों के कैंसर, ब्लाडर कैंसर, पेट के कैंसर के मरीजों पर टेस्ट किया जाएगा. हालांकि चूहों पर हुए इस शोध की सफलता इस बात को पूरी तरह आश्वस्त नहीं करती है कि इंसानों में भी इसके परिणाम वैसे ही देखने को मिलेंगे.
इंसानों पर इस वायरस का टेस्ट होना अभी बाकी है. फिर भी प्रफेसर फॉन्ग और मेडिकल साइंस से जुड़े सभी वैज्ञानिक इस शोध को लेकर काफी उत्साहित हैं और इसे बड़ी सफलता के रूप में देख रहे हैं. #CancerPrevention
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