वर्तमान दौर की व्यस्त दिनचर्या में किसी के पास परिवार के लिए वक्त नहीं है. सामान्यतः आबादी ऐसी ही है जो सुबह से रात तक बस अपने काम में ही व्यस्त रहती है. यही वजह है कि आज के दौर में एकल परिवारों की संख्या बढ़ रही है. जबकि पहले हर घर में संयुक्त परिवार होता था. संयुक्त परिवार (Joint Family) में घर के बड़े सदस्य का पूरे परिवार पर नियंत्रण होता था.

उनके द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों के आधार पर ही घर चालाया जाता था. पर धीरे-धीरे संयुक्त परिवार (Joint Family) का टूटना शुरू हुआ. यही परिवार टूट कर एकल परिवार में परिवर्तित होता गया. एकल परिवार का सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों पर ही देखने को मिलता है. बच्चे अच्छे संस्कारों से दूर होते जा रहे हैं. बच्चों में संस्कारों की कमी का एकमात्र कारण यही है कि एकल परिवार में रहना.परिवार की अहमियत को समझने के उद्देश्य के उद्देश्य से ही प्रति वर्ष 15 मई को विश्व परिवार दिवस का पालन किया जाता है.
समाज का केंद्र परिवार – Joint Family
परिवार जीवन का वह अभिन्न हिस्सा है. जिसके बिना जिंदगी अधूरी है. परिवार का हर किसी के जीवन में बहुत महत्व होता है. समाज का केंद्र परिवार ही होता है. परिवार का रिश्ता अमूल्य होता है. जिंदगी में सुख-दुःख तो लगा ही रहता है. सुख की घड़ी में तो सभी आपके साथ रहतें हैं. पर आपका परिवार ही होता जो संकट की घड़ी में निःस्वार्थ भाव से आपके साथ खड़ा रहता है. परेशानियों का सामना करने के लिए परिवार का होना बहुत जरूरी है.

आज के दौर में अकेले रहने का मानों फैशन चला हुआ है. बच्चे तो बच्चे माता-पिता भी उन्हें अकेले रहने पर बल देते हैं. ऐसे माता-पिता का मानना होता है कि बच्चे अगर अकेले रहते हैं तो उनमें आत्मनिर्भरता आती है. खैर इनकी सोच भी सही है. पर कई बार यह देखा जाता है कि अकेले रहने वाले लोग ही ज्यादातर डिप्रेशन के शिकार होते हैं. किसी भी दुःख तकलीफ को साझा करने वाला उसके पास कोई नहीं होता है. लंबे समय तक डिप्रेशन में रहने के बाद वे आत्महत्या तक कर लेते हैं.
मनोचिकित्सकों का मानना है कि जब आप तकलीफ में होते हैं तो अपनों की जरूरत होती है. जिसके साथ आप मन की बातें साझा कर सकते हैं. अपनी तकलीफों को साझा करने से मन हल्का होता है. जिससे इंसान को सुकून का अनुभव होता है. बहुत सारी बातें ऐसी होती है जिसे आप परिवार के साथ ही शेयर कर सकते हैं. समस्या तभी उत्पन्न होती है जब परिवार आपके पास नहीं होता है. अगर परिवार साथ होता है तो लोग बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का सामना आसानी से कर लेते हैं.
विश्व परिवार दिवस क्या है? – International Family Day
विश्व परिवार दिवस (International Family Day) की घोषणा संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 15 मई 1994 में की थी. परिवार की अहमियत को समझने के लिए ही इस दिवस की शुरूआत की गई थी. परिवार दिवस के लिए एक प्रतीक चिन्ह भी चयनित है. जसमें हरे रंग के गोले में लाल रंग से दिल व घर बना हुआ है.

हमारे देश में शुरू से ही संयुक्त परिवार (Joint Family) की परंपरा रही है. पर अभी देखें तो विभिन्न कारणों से यह परंपरा टूट रही है. संयुक्त परिवार में माता-पिता, दादा-दादी, चाचा-चाची व उनके बच्चे शामिल होते हैं. पर अब की पीढ़ियों को आजादी पसंद है. हर कोई परिवार की बंदिशों से दूर रहना चाहता है. यह परिस्थिति मुख्य रूप से तब से शुरू हुई जब से लोगों का नौकरी से सिलसिले में बाहर जाना शुरू हुआ.
वैसे यह प्रचलन पहले भी था लेकिन तब शादीशुदा व्यक्ति अपनी पत्नी व बच्चे को माता के साथ यानी परिवार के पास छोड़ कर जाते थे. लेकिन अब ऐसा बिल्कुल नहीं है. नौकरीपेशा इंसान सिर्फ अपनी पत्नी व बच्चे को ही साथ लेकर जाना चाहता है. क्योंकि सबको आजादी चाहिए. इसी आजादी की वजह से संयुक्त परिवार का बिखराव शुरू हुआ. सीधे तौर पर कहें तो संयुक्त परिवार (Joint Family) की गरिमा नष्ट हो रही है.
परिवार के साथ रहने के फायदे – Importance of Joint Family
- परिवार (International Family Day) ही होता है जो हर समस्या, हर तकलीफों में आपका साथ देता है.
- पूरा परिवार एक साथ रहने पर घर में अनुशासन बनी रहती है.
- किसी भी कार्य में आपसी ताल-मेल के साथ निर्णय लिया जाता है, जो सटीक होता है.
- आने वाली पीढ़ियों का समुचित विकास परिवार पर ही निर्भर करता है.
- हर सदस्य के लिए कार्यों का विभाजन होने पर काम सही तरीके से व तय वक्त पर पूरा होता है.
- संयुक्त परिवार में रहने वाले बच्चे खुद को कभी अकेला महसूस नहीं करते.

- जिन घरों में संयुक्त परिवार (Joint Family) है वहां व्यय कम होता है.
- विभिन्न त्योहारों का आनंद तो परिवार के साथ ही आता है.
- सुख दुःख में सबका साथ बना रहता है.
- हर घड़ी परिवार से भावनात्मक सहयोग मिलता रहता है.
- किसी भी इंसान के चरित्र निर्माण की पहली सीढ़ी उसका परिवार ही होता है.
- संयुक्त परिवार के अधिकांश बच्चे अनुशासित हैं. भी महत्वपूर्ण हिस्सा है.
- परिवार साथ रहने पर घर की सुरक्षा भी होती है.
आदर्श परिवार से ही सुव्यवस्थित समाज का गठन होता है. जहां तक संयुक्त परिवार की बात है तो यह हमारी सभ्यता और संस्कृति का अहम हिस्सा है. पर यह संयुक्त परिवार की रीति दिन प्रति दिन खत्म होकर एकल परिवार में परिवर्तित होती जा रही है. क्या आपको नहीं लगता कि इस तरह संयुक्त परिवार का एकल में विभाजन होना समाज के लिए चिंता का विषय है? इस गंभीर विषय पर जरूर सोचें व अपने विचार योदादी’ के साथ कमेंट कर जरूर शेयर करें.
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